Saturday, 8 July 2017

कृषि वैज्ञानिकों ने दी किसानों को सलाह

रायपुर, 08 जुलाई 2017
कृषि वैज्ञानिकों ने धान की थरहा नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए जरूरी सुझाव दिए हैं। उन्होंने आज यहां जारी विशेष कृषि बुलेटिन में कहा है कि थरहा धान में अक्सर सकरी पत्ते और चौड़ी पत्ते वाले खरपतवार उगते हैं। इन खरपतवारों के नियंत्रण के लिए थरहा डालने के तीन से सात दिन के भीतर ब्यूटाक्लोर तीन लीटर दवा और 500 लीटर पानी मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए।
    कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि हल्की जमीनों में 100 से 115 दिनों में पकने वाली किस्में-दंतेश्वरी, पूर्णिमा, इंदिरा, बारानी धान-1, अनंदा, समलेश्वरी, एमटीयू-1010 और आईआर-36 की बोआई करनी चाहिए। यदि किसानों के पास इन किस्मों के प्रमाणित बीज उपलब्ध नहीं है, तो वे अपने पास उपलब्ध इन किस्मों के बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल एवं बाविस्टीन से उपचार कर बोनी कर सकते हैं। कतार बोनी धान में बोआई के तीन दिन के अंदर अंकुरण के पूर्व निंदा नाशक पेंडीमेथेलिन 1.25 लीटर तथा 500 लीटर पानी का घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर खेत में छिड़काव करने की सलाह दी गई। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को शीघ्र एवं मध्यम अवधि की धान किस्मों की कतार बोनी करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि इन किस्मों की कतार बोनी करने से बियासी की जरूरत नहीं पड़ती और धान 10 से 15 दिन पहले पक जाता है।
    कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण के लिए बीजों के अंकुरण के पहले क्यूजोलाफाप-पी-एथिल, इमेजाथाइपर या पेन्डीमेथिलिन या मैट्रीबुजिन का छिड़काव अनुशंसित मात्रा में किया जाना चाहिए। उकठा बीमारी से ग्रसित क्षेत्रों में अरहर के साथ ज्वार की मिलवा खेती करने से अरहर में उकठा का रोग कम लगता है। 
क्रमांक-1494/राजेश

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