Wednesday, 12 July 2017

देश की ग्रामीण एवं कृषि अर्थव्यवस्था की तरक्की में नाबार्ड मुख्य आधार: श्री बृजमोहन अग्रवाल : कृषि मंत्री ने नाबार्ड के 36वें स्थापना दिवस समारोह में बैंकों, स्व-सहायता समूहों और गैर सरकारी संगठनों को किया पुरस्कृत

रायपुर, 12 जुलाई 2017
छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि भारत की ग्रामीण एवं कृषि अर्थव्यवस्था की तरक्की में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने मुख्य आधार का काम किया है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नाबार्ड की योजनाओं के तहत स्व-सहायता समूहों से जुड़कर विकास का रास्ता मिल रहा है। अनाज उत्पादन के मामले में देश की आत्मनिर्भरता में भी नाबार्ड का महत्वपूर्ण योगदान है। श्री अग्रवाल आज यहां नवीन विश्राम गृह के सभाकक्ष में नाबार्ड के 36वें स्थापना दिवस, स्व-सहायता समूह बैंक लिंकेज रजत जयंती तथा राज्य स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। श्री अग्रवाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया।
नाबार्ड के छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर द्वारा आयोजित समारोह में स्व-सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों और उनकी शाखाओं, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और स्व-सहायता समूहों को पुरस्कृत किया गया। कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने नाबार्ड द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तिकाओं का विमोचन भी समारोह में किया। समारोह में अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज, नाबार्ड के छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर के मुख्य महाप्रबंधक द्वय डॉ. आर.एम. कुम्मूर, श्री एन.पी. महापात्र सहित जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के अध्यक्षों, एनजीओ और स्व-सहायता समूहों के प्रतिनिधि और नाबार्ड के अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि प्रदेश सरकार किसानों और गरीबों के विकास के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं को गांवों और किसानों तक पहुंचाने में नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ के किसानों को अभी तक 13 हजार करोड़ रूपए की सहायता दी गई है। राज्य सरकार की योजनाओं के लिए हर साल एक हजार करोड़ रूपए का योगदान नाबार्ड द्वारा दिया जाता है। श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरूप वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने हमें नवाचार करने की जरूरत है। एक फसली कृषि व्यवस्था से किसानों की आय दोगुनी नहीं की जा सकती। किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती-किसानी के साथ-साथ इससे जुड़े अन्य आयमूलक कार्य जैसे-मछलीपालन, पशुपालन, डेयरी विकास से किसानों को जोड़ना बहुत जरूरी हो गया है। नाबार्ड को इस ओर भी प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए। एलायड सेक्टर में किसानों की मदद करने व्यापक कार्य योजना बनाने की जरूरत है। इन कार्यों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की लिमिट को आगे ले जाकर राशि दी जानी चाहिए। श्री अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विगत 13 सालों में कृषि, सिंचाई और उद्यानिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। फल-फूलों और साग-सब्जियों के उत्पादन में राज्य के किसानों ने अच्छी सफलता पायी है। उद्यानिकी फसलों की अच्छी उत्पादकता को देखते हुए प्रदेश में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की जरूरत है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में भी नाबार्ड मदद कर सकता है। ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और अधिक सहायता दी जानी चाहिए।
नाबार्ड के छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय के  मुख्य महाप्रबंधक श्री महापात्र ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि नाबार्ड की ओर से छत्तीसगढ़ को ग्रामीण अधोसंरचना विकास में एक हजार करोड़ रूपए दिया जा रहा है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है। प्रदेश के 14 जिलों के पांच हजार गांवों में जल संरक्षण के लिए जलदूत कार्य कर रहे हैं। मुख्य महाप्रबंधक डॉ. आर.एम. कुम्मूर ने बताया कि स्व-सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम का रजत जयंती वर्ष होने के कारण नाबार्ड का इस वर्ष का स्थापना दिवस विशेष मायने रखता है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड की योजनाओं में किसानों, गरीबों और महिलाओं के आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी जाती है। नाबार्ड की हर योजनाएं इन्हीं वर्गों को केन्द्रित कर बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ किसानों के केसीसी को रूपे-केसीसी में बदलने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिए आय का अतिरिक्त जरिया बनाने बाड़ी विकास कार्यक्रम में आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 55 हजार आदिवासी किसानों को जोड़ा गया है। लघु वनोपजों के संग्रहण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए तीन प्रोजेक्ट स्वीकृत किए गए हैं। प्रदेश में 60 वाटर शेड के कार्यक्रम चल रहे हैं। सिंचाई रकबा बढ़ाने ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति पर विशेष जोर देकर कार्य योजना स्वीकृत की गई। 
क्रमांक-1568/राजेश

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