Saturday, 24 June 2017

रायपुर : प्रधानमंत्री उज्जवला योजना: छत्तीसगढ़ में देश का प्रथम अभिनव प्रयास

छत्तीसगढ़ के सुदूर दुर्गम क्षेत्रों में नवीन रसोई गैस कनेक्शन और रिफिल सुविधा प्राथमिक सहकारी समिति के माध्यम से होगी उपलब्ध
मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने बस्तर जिले की प्राथमिक सहकारी समिति बारसूर को सौंपा नियुक्ति पत्र
रायपुर, 24 जून 2017

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में बस्तर जिले के बारसूर प्राथमिक सहकारी समिति को नवीन गैस कनेक्शन और हितग्राहियों को रिफिल सुविधा प्रदान करने के लिए इंडियन आयल कार्पाेरेशन लिमिटेड द्वारा जारी नियुक्ति पत्र प्रदान किया। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जहां यह प्रथम अभिनव प्रयास प्रारंभ किया गया। 
मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने कहा कि इस अभिनव प्रयास से प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के दुर्गम और सुदूर क्षेत्रांे में निवासरत गरीब परिवारों को प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रिफिल सुविधा उपलब्ध होगी। राज्य में स्वच्छ र्इ्रधन के उपयोग और एलपीजी के कव्हरेज को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही सहकारी समितियों को नवीन एवं लाभप्रद व्यवसाय प्राप्त होने से इनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। इस अवसर पर खाद्य विभाग की सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा, विशेष सचिव श्री मनोज कुमार सोनी, संयुक्त सचिव सामान्य प्रशासन विभाग श्रीमती आर. शंगीता, रजिस्ट्रार को-आपरेटिव सोसायटी श्री जे.पी. पाठक, इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड के एरिया मैनेजर श्री सुदीप्तो दास, इंडियन ऑयल एवं सेल्स ऑफिसर सुश्री अवंतिका तायल उपस्थित थी।
खाद्य सचिव श्रीमती ऋचा शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के राज्य में अगस्त 2016 में लागू होने के समय प्रदेश मे कुल 22 लाख एलपीजी कनेक्शन थे तथा इन्हे रिफिल सुविधा देने के लिए आयल कंपनियों के 366 वितरक कार्यरत थे। ये वितरक अधिकांशतः शहरी एवं गैर आदिवासी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे थे। सामान्यतः एलपीजी वितरक की नियुक्ति में आयल कम्पनी को दो वर्ष का समय लगता है जबकि दुर्गम क्षेत्र वितरकों को केवल 10 माह में कार्यशील बनाया गया है। आयल कंपनियों द्वारा विगत 1 वर्ष के दौरान केवल 7 नवीन वितरकों को नियुक्ति की जा सकी है जबकि प्रदेश में एलपीजी कनेक्शन की संख्या बढ़कर 34.50 लाख हो गई है। 
उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के अनुसूचित तथा पिछड़े क्षेत्रों में नवीन गैस कनेक्शन जारी करने तथा हितग्राहियों को रिफिल की सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिए राज्य शासन द्वारा प्राथमिक कृषि साख समिति तथा लैम्प्स जैसी सहकारी समितियों को नामांकन के द्वारा दुर्गम क्षेत्र वितरक के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव अगस्त 2016 में भारत सरकार को प्रेषित किया गया। प्रस्ताव पर भारत सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान करते हुए नामांकन के माध्यम से दुर्गम क्षेत्र श्रेणी के एलपीजी वितरकों की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार को अधिकृत किया गया। वर्तमान में प्रथम चरण में 50 तथा द्वितीय चरण में 48 दुर्गम क्षेत्र वितरकों की नियुक्ति की जा रही है। प्रथम चरण के वितरक जुलाई 2017 तक तथा द्वितीय चरण के वितरक जनवरी 2018 तक कार्यशील हो जावेंगे, जिससे राज्य में एलपीजी वितरकों की संख्या बढ़कर 471 हो जावेगी।            
           क्रमांक- 1295/सुदेश

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