प्रधानमंत्री श्री मोदी ने की अभियान की सराहना
मुख्यमंत्री और पशुधन विकास मंत्री ने
विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों और बकरी पालक किसानों को दी बधाई
विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों और बकरी पालक किसानों को दी बधाई
रायपुर, 13 मई 2017
केन्द्र सरकार के नीति आयोग ने कृषि आधारित उत्कृष्ट अनुकरणीय योजनाओं में छत्तीसगढ़ सरकार के पीपीआर टीकाकरण अभियान का चयन किया है। नीति आयोग द्वारा पिछले वर्षों में देश के राज्यों में संचालित कृषि आधारित सर्वश्रेष्ठ योजनाओं की जानकारी मंगाई गई थी। इनमें से 13 योजनाओं का चयन किया गया है। इन योजनाओं में छत्तीसगढ़ के पशुधन विकास विभाग के बकरी-प्लेग टीकाकरण अभियान का चयन कर इसे पूरे देश के लिए अनुकरणीय बताया गया है। आयोग ने इस संबंध में ’स्टेट फारवर्ड’ नाम की एक पुस्तिका प्रकाशित की है, जिसमें बकरी-प्लेग (पीपीआर) टीकाकरण अभियान को कृषि आधारित 13 सर्वश्रेष्ठ योजनाओं के रूप में शामिल किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्टेट फारवर्ड पुस्तिका की प्रस्तावना में पीपीआर टीकाकरण अभियान की सराहना की है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह तथा कृषि एवं पशुधन विकास मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस उपलब्धि के लिए पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों तथा राज्य के बकरी पालक किसानों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।
पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि विभाग द्वारा पिछले सात साल से हर वर्ष ठण्ड के मौसम में सितम्बर से दिसम्बर माह के बीच बकरी प्रजाति के पशुओं को पीपीआर बीमारी (प्लेग) से बचाने के लिए पल्स पोलियो की तर्ज पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। विगत सात सालों में अभियान के तहत लगभग दो करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि प्लेग से हर साल काफी संख्या में भेड़-बकरियों की मृत्यु हो जाती है, जिससे पशुपालक किसानों को आर्थिक हानि होती है। अधिकारियों ने बताया कि टीकाकरण अभियान के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में बीते चार साल में बकरी प्रजाति के पशुओं को प्लेग होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में भी यह अभियान सहायक साबित होगा।
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बकरी पालन का व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछडे वर्ग के भूमिहीन, लघु और सीमांत किसानों द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि 1़9वीं पशु संगणना के अनुसार प्रदेश में भेड़-बकरी प्रजाति के पशुओं की संख्या 33 लाख 91 हजार के करीब है, जो इससे पहले की संगणना से मिली संख्या की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से मांस और दूध के लिए बकरी पालन किया जाता है। इससे पशुपालकों को अच्छी आमदनी मिल जाती है।
अधिकारियों ने बताया कि बकरी प्रजातियों के प्रमुख बीमारियों में विषाणु (वायरस) जनित पीपीआर बीमारी शामिल है। इस बीमारी से प्रभावित पशुओं में से 70 से 80 प्रतिशत पशुओं की मौत संभावित होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी के फैलने के बाद पशुपालक अपने स्वस्थ्य पशुओं को भी कम दाम में बेचने लगते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है। अधिकारियों ने बताया कि टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए हर साल ठोस और कारगर कार्य योजना बनाई जाती है। कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा सरपंचों तथा जनपद एवं जिला पंचायत अध्यक्षों को पत्र लिखकर अभियान को सफल बनाने आग्रह किया जाता है। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अजय सिंह की ओर से भी जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को अभियान में सहयोग देने पत्र भेजा जाता है। कृषि विभाग के सचिव श्री अनूप श्रीवास्तव एवं संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. एस.के. पाण्डेय का भी सहयोग इस अभियान को सफल बनाने में हमेशा मिलता है। टीकाकरण अभियान दलों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा व्यापक प्रचार-प्रसार कर पशुपालकों को टीकाकरण के लिए जागरूक किया जाता है। अभियान दल के सदस्य घर-घर जाकर टीके लगाने का काम करते हैं। हर साल अभियान के 21 दिन बाद टीके लगाए गए पशुओं में से 0.10 प्रतिशत बकरियों से खून के नमूने लेकर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान मुक्तेश्वर में जांच कराई जाती है। विगत वर्षों में इनमें 78 से 82 प्रतिशत सफलता की पुष्टि की गई।
पशुधन विकास विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि विभाग द्वारा पिछले सात साल से हर वर्ष ठण्ड के मौसम में सितम्बर से दिसम्बर माह के बीच बकरी प्रजाति के पशुओं को पीपीआर बीमारी (प्लेग) से बचाने के लिए पल्स पोलियो की तर्ज पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। विगत सात सालों में अभियान के तहत लगभग दो करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि प्लेग से हर साल काफी संख्या में भेड़-बकरियों की मृत्यु हो जाती है, जिससे पशुपालक किसानों को आर्थिक हानि होती है। अधिकारियों ने बताया कि टीकाकरण अभियान के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में बीते चार साल में बकरी प्रजाति के पशुओं को प्लेग होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में भी यह अभियान सहायक साबित होगा।
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बकरी पालन का व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछडे वर्ग के भूमिहीन, लघु और सीमांत किसानों द्वारा किया जाता है। उन्होंने बताया कि 1़9वीं पशु संगणना के अनुसार प्रदेश में भेड़-बकरी प्रजाति के पशुओं की संख्या 33 लाख 91 हजार के करीब है, जो इससे पहले की संगणना से मिली संख्या की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से मांस और दूध के लिए बकरी पालन किया जाता है। इससे पशुपालकों को अच्छी आमदनी मिल जाती है।
अधिकारियों ने बताया कि बकरी प्रजातियों के प्रमुख बीमारियों में विषाणु (वायरस) जनित पीपीआर बीमारी शामिल है। इस बीमारी से प्रभावित पशुओं में से 70 से 80 प्रतिशत पशुओं की मौत संभावित होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी के फैलने के बाद पशुपालक अपने स्वस्थ्य पशुओं को भी कम दाम में बेचने लगते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है। अधिकारियों ने बताया कि टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए हर साल ठोस और कारगर कार्य योजना बनाई जाती है। कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा सरपंचों तथा जनपद एवं जिला पंचायत अध्यक्षों को पत्र लिखकर अभियान को सफल बनाने आग्रह किया जाता है। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अजय सिंह की ओर से भी जिला कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को अभियान में सहयोग देने पत्र भेजा जाता है। कृषि विभाग के सचिव श्री अनूप श्रीवास्तव एवं संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. एस.के. पाण्डेय का भी सहयोग इस अभियान को सफल बनाने में हमेशा मिलता है। टीकाकरण अभियान दलों को समुचित प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा व्यापक प्रचार-प्रसार कर पशुपालकों को टीकाकरण के लिए जागरूक किया जाता है। अभियान दल के सदस्य घर-घर जाकर टीके लगाने का काम करते हैं। हर साल अभियान के 21 दिन बाद टीके लगाए गए पशुओं में से 0.10 प्रतिशत बकरियों से खून के नमूने लेकर भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान मुक्तेश्वर में जांच कराई जाती है। विगत वर्षों में इनमें 78 से 82 प्रतिशत सफलता की पुष्टि की गई।
क्रमांक-702/राजेश