मिल्क-रूट की तरह साग-सब्जी रूट भी विकसित किए जाएंगे
राज्य में उद्यानिकी फसलों का रकबा 7.47 लाख हेक्टेयर से
लगभग 12 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य
लगभग 12 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य
प्रदेश भर में खोले जाएंगे एक हजार कृषि यंत्र केन्द्र
रायपुर, 02 जुलाई 2017
उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा देने और इन फसलों की खेती से जुड़े किसानों को बेहतर बाजार दिलाकर उनकी आमदनी दोगुनी करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने पंचवर्षीय कार्य योजना तैयार कर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। चालू वित्त्तीय वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक कार्य योजना के विभिन्न घटकों में लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए 815 करोड़ 59 लाख रूपए के प्रस्ताव शामिल किए गए हैं। इसमें मिल्क-रूट की तरह साग-सब्जी रूट बनाने का भी प्रस्ताव है। रोड मैप के रूप में यह कार्य योजना वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए तैयार की गई है। कार्य योजना में कई आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। इसमें ग्राम समूहों (क्लस्टरों) समूहों का चयन कर साग-सब्जी रूट तैयार करने का भी लक्ष्य है। मिल्क-रूट में जिस प्रकार दूध उत्पादक किसानों से दूध संकलित किया जाता है, प्रत्येक साग-सब्जी रूट के गांवों के किसानों से भी उसी तर्ज पर उनकी उपज का संकलन कर बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर भारत में वर्ष 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ भी मनाई जाएगी। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक अवसर को ध्यान में रखकर सभी राज्यों को वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी डबल करने का लक्ष्य दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए रोड मैप तैयार कर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। डॉ. रमन सिंह ने आज कहा कि वर्ष 2022 तक प्रदेश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए जो कुछ भी करना पड़ेगा हम करेंगे। मुख्यमंत्री ने इस रोड मैप में बस्तर और सरगुजा संभाग को जैविक खेती के प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित करने का भी लक्ष्य घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि राज्य के किसान खेती के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर सकें इस उद्देश्य से कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने एक हजार कृषि यंत्र सेवा केन्द्र भी स्थापित किए जाएंगे।
कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल इस पंचवर्षीय रोड मैप में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन और सम्बद्ध विभागों को दिए गए विभागवार लक्ष्यों के अनुरूप प्रदेश में चल रही गतिविधियों की नियमित समीक्षा कर रहे हैं। इसी कड़ी में विभागीय अधिकारियों ने आज बताया कि राज्य में वर्ष 2004-05 से 2016-17 तक तेरह वर्षो में उद्यानिकी फसलों का रकबा 2.71 गुना बढ़कर सात लाख 41 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। कार्य योजना में इसे वर्ष 2021-22 तक ग्यारह लाख 93 हजार हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। वर्तमान में प्रदेश में दो लाख 25 हजार हेक्टेयर में फलों की खेती हो रही है, इसे वर्ष 2022 तक छह लाख 62 हजार हेक्टेयर तक पहुंचाया जाएगा। इस दौरान राज्य में सब्जियों की खेती के रकबे को चार लाख 14 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर छह लाख 67 हजार हेक्टेयर तक, मसालों की खेती को 91 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर एक लाख 46 हजार हेक्टेयर और फूलों की खेती को 11 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 18 हजार हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है।
राज्य में आज की स्थिति में उद्यानिकी फसलों की पैदावार लगभग 86 लाख मीटरिक टन है। इसे पांच वर्ष के भीतर और भी अधिक बढ़ाया जाएगा। रोड मैप में उद्यानिकी विभाग द्वारा इसके अंतर्गत कई कार्य लिए जाएंगे। जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ध्यान में रखकर प्रदेश में ग्रीन अथवा शेड नेट हाऊस के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, खरीफ मौसम की प्याज की खेती को रबी मौसम में भी बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि प्याज की कीमतों में संतुलन के साथ-साथ किसानों को उसका उचित मूल्य मिल सके। साग-सब्जियों और अन्य उद्यानिकी फसलों की तोड़ाई के बाद उनके समुचित रख-रखाव के लिए कोल्ड स्टोरेज, प्याज भण्डार गृह, पैक हाउस आदि का निर्माण भी क्लस्टर पद्धति से किया जाएगा। उद्यानिकी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। आम, अमरूद, नीबू, बेर, अनार, प्याज, टमाटर और आलू आदि के प्रसंस्करण और पैकेजिंग के लिए लघु और मध्यम प्रसंस्करण उद्योगों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि प्रदेश के उद्यानिकी किसान अपनी इन फसलों को प्रसंस्करण उद्योगों में भी उचित मूल्य पर बेच सकें। फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण के तहत जेम, जेली, अचार, मुरब्बा, शरबत आदि बनाने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था के साथ लोगों को इनके प्रसंस्करण उद्योगों से भी जोड़ा जाएगा। कार्य योजना में हर साल 20 रोपणियों के आधुनिकीकरण का भी लक्ष्य है, ताकि किसानों को अच्छी क्वालिटी के पौधे मिल सके। लक्ष्य पूर्ति के लिए चल रहे प्रयासों के साथ-साथ किसानों और उद्यानिकी कर्मचारियों के कौशल उन्नयन की दृष्टि से उनके प्रशिक्षण का प्रावधान भी कार्य योजना में किया गया है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर भारत में वर्ष 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ भी मनाई जाएगी। प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक अवसर को ध्यान में रखकर सभी राज्यों को वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी डबल करने का लक्ष्य दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए रोड मैप तैयार कर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। डॉ. रमन सिंह ने आज कहा कि वर्ष 2022 तक प्रदेश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए जो कुछ भी करना पड़ेगा हम करेंगे। मुख्यमंत्री ने इस रोड मैप में बस्तर और सरगुजा संभाग को जैविक खेती के प्रमुख केन्द्र के रूप में विकसित करने का भी लक्ष्य घोषित किया है। उन्होंने कहा है कि राज्य के किसान खेती के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर सकें इस उद्देश्य से कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने एक हजार कृषि यंत्र सेवा केन्द्र भी स्थापित किए जाएंगे।
कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल इस पंचवर्षीय रोड मैप में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन और सम्बद्ध विभागों को दिए गए विभागवार लक्ष्यों के अनुरूप प्रदेश में चल रही गतिविधियों की नियमित समीक्षा कर रहे हैं। इसी कड़ी में विभागीय अधिकारियों ने आज बताया कि राज्य में वर्ष 2004-05 से 2016-17 तक तेरह वर्षो में उद्यानिकी फसलों का रकबा 2.71 गुना बढ़कर सात लाख 41 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। कार्य योजना में इसे वर्ष 2021-22 तक ग्यारह लाख 93 हजार हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य है। वर्तमान में प्रदेश में दो लाख 25 हजार हेक्टेयर में फलों की खेती हो रही है, इसे वर्ष 2022 तक छह लाख 62 हजार हेक्टेयर तक पहुंचाया जाएगा। इस दौरान राज्य में सब्जियों की खेती के रकबे को चार लाख 14 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर छह लाख 67 हजार हेक्टेयर तक, मसालों की खेती को 91 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर एक लाख 46 हजार हेक्टेयर और फूलों की खेती को 11 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 18 हजार हेक्टेयर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है।
राज्य में आज की स्थिति में उद्यानिकी फसलों की पैदावार लगभग 86 लाख मीटरिक टन है। इसे पांच वर्ष के भीतर और भी अधिक बढ़ाया जाएगा। रोड मैप में उद्यानिकी विभाग द्वारा इसके अंतर्गत कई कार्य लिए जाएंगे। जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ध्यान में रखकर प्रदेश में ग्रीन अथवा शेड नेट हाऊस के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, खरीफ मौसम की प्याज की खेती को रबी मौसम में भी बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि प्याज की कीमतों में संतुलन के साथ-साथ किसानों को उसका उचित मूल्य मिल सके। साग-सब्जियों और अन्य उद्यानिकी फसलों की तोड़ाई के बाद उनके समुचित रख-रखाव के लिए कोल्ड स्टोरेज, प्याज भण्डार गृह, पैक हाउस आदि का निर्माण भी क्लस्टर पद्धति से किया जाएगा। उद्यानिकी फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। आम, अमरूद, नीबू, बेर, अनार, प्याज, टमाटर और आलू आदि के प्रसंस्करण और पैकेजिंग के लिए लघु और मध्यम प्रसंस्करण उद्योगों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि प्रदेश के उद्यानिकी किसान अपनी इन फसलों को प्रसंस्करण उद्योगों में भी उचित मूल्य पर बेच सकें। फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण के तहत जेम, जेली, अचार, मुरब्बा, शरबत आदि बनाने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था के साथ लोगों को इनके प्रसंस्करण उद्योगों से भी जोड़ा जाएगा। कार्य योजना में हर साल 20 रोपणियों के आधुनिकीकरण का भी लक्ष्य है, ताकि किसानों को अच्छी क्वालिटी के पौधे मिल सके। लक्ष्य पूर्ति के लिए चल रहे प्रयासों के साथ-साथ किसानों और उद्यानिकी कर्मचारियों के कौशल उन्नयन की दृष्टि से उनके प्रशिक्षण का प्रावधान भी कार्य योजना में किया गया है।
क्रमांक-1429/स्वराज्य