Saturday, 24 June 2017

रानी दुर्गावती बलिदान दिवस: सामाजिक समरसता एवं सम्मान समारोह आयोजित


महान विभूतियां सभी समाज के लिए पूज्यनीय: श्री बृजमोहन अग्रवाल
    रायपुर, 24 जून 2017

कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि महान  विभूतियां किसी एक जाति या समाज की नहीं होती। उनका त्याग, बलिदान और सेवा कार्य पूरे मानव समाज के लिए होता है। इसलिए महान विभूतियां हर समाज के लिए पूज्यनीय होती हैं। श्री अग्रवाल आज यहां गोंडवाना भवन टिकरापारा में रानी दुर्गावती बलिदान दिवस पर आयोजित सामाजिक समरसता एवं सम्मान समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। श्री अग्रवाल ने समारोह में सामाजिक समरसता के लिए काम करने वाले विभिन्न समाज प्रमुखों, मितानिनों और खिलाड़ियों को सम्मानित किया। वन मंत्री महेश गागड़ा ने समारोह की अध्यक्षता की। राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री जी.आर. राणा सहित अन्य जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ नागरिक विशेष अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित थे।
    कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश का इतिहास महान विभूतियों की बलिदानी गाथाओं से भरा है। उन्होंने समाज, देश और प्रकृति की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। यह बात जरूर है इतिहास में देश की वीरांगनाओं के शौर्य की चर्चा कम हुई है। वीरांगना रानी दुगार्वती ने अपने समय में समाज, धर्म और प्रकृति को बचाने के लिए मुगलों से लड़ाई लड़ी। श्री अग्रवाल ने कहा कि रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस पूरे मानव समाज को प्रकृति और संस्कृति की सुरक्षा की प्रेरणा देता है। महिला विभूतियों की स्मृतियों से जुड़े महत्वपूर्ण दिवसों पर कार्यक्रम आयोजित होने से महिलाओं का सम्मान बढ़ता है। हमारे देश का इतिहास इस बात का गवाह है कि पुरातन काल मंे भी मातृ शक्ति कभी कमजोर नहीं रही।
    वन मंत्री श्री महेश गागड़ा ने अपने उद्बोधन में वीरांगना रानी दुगार्वती के पराक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि उनके बलिदान से हमें प्रकृति और संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है। ऐसा लगता है कि वर्तमान में हमारा आदिवासी समाज धीरे धीरे प्रकृति और संस्कृति से दूर होते जा रहा है। आज जरूरत इस बात की है कि हम आधुनिकता के साथ साथ अपनी मूल संस्कृति के साथ जुडे रहंे। अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री जी.आर. राणा ने समारोह में विस्तार से सामाजिक समरसता के भावार्थ की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता छत्तीसगढ़ की माटी में है। छत्तीसगढ़ में हर समाज की संस्कृति समरसता से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रकृति और धरती सामाजिक समरसता का सबसे अच्छा उदाहरण है। प्रकृति सब पर समान रूप से कृपा करती है और धरती माता सबको अपने आंचल का छांव देती है। श्री राणा ने संविधान के अनेक अनुच्छेदों का उदाहरण देते हुए बताया कि भारतीय संविधान में भी सामाजिक समरसता के भाव बहुत स्पष्ट ढंग से उल्लेखित है। इस अवसर पर डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना, श्री भगवती शर्मा, श्री बजरंग ध्रुव, श्री विनोद नागवंशी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।  

   क्रमांक-1317/राजेश

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