रायपुर, 06 जून 2017
राज्य के
नक्सल हिसंा पीड़ित बीजापुर जिले के ग्राम पंचायत सेमलडोडी की सरंपच श्रीमती
सुशीला के बुलंद हौसले से ग्रामीण आत्मनिर्भर हो रहे हैं। मनरेगा के तहत
ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने में ग्राम पंचायत सेमलडोडी सरपंच के
प्रयास से आगे रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र की सरपंच होने के बावजूद
श्रीमती सुशीला ने हिम्मत नहीं हारी और गांव के विकास और ग्रामीणों के
आर्थिक सशक्तिकरण के लिए निरंतर कार्य करती रही। उन्होंने महात्मा गांधी
नरेगा के तहत ग्रामीणों को अधिक से अधिक रोजगार दिवस उपलब्ध कराया, वहीं
राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए गांवों में भी मूलभूत सुविधा
उपलब्ध कराने पूरी तरह प्रयासरत है।
बीजापुर जिले के उसूर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-सेमलडोडी में इस वर्ष फरवरी माह तक महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 30 हजार 78 मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। जिले स्तर पर यह ग्राम पंचायत सर्वाधिक रोजगार सृजित करने के साथ-साथ महिलाओं को भी सबसे अधिक रोजगार मुहैया कराने वाली ग्राम पंचायतों की सूची में प्रथम स्थान पर है। ग्राम पंचायत ने महिलाओं द्वारा की गई रोजगार की मांग के आधार पर, कुल 13 हजार 928 मानव दिवस सृजित किया है। ग्राम पंचायत की सरपंच होने के नाते श्रीमती सुशीला गटपल्ली द्वारा गांव की महिलाओं के लिए किया गया यह प्रयास, जिले के अन्य सरपंचों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन गया है।वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले में सर्वाधिक रोजगार देने वाली पंचायत के सरपंच का खिताब पाने वाली सरपंच श्रीमती सुशीला गटपल्ली का यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने धैर्य के साथ सभी पंचायत प्रतिनिधियों को साथ में लेते हुये काम किया। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत जो कार्य स्वीकृत कराये, वे आम के आम और गुठली के दाम वाले साबित हुए। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा की आत्मा ‘हर हाथ को काम’ मिले के साथ-साथ जल संरक्षण के कार्य प्राथमिकता से लिये। इस तरह उन्होंने एक तरह से मिसाल ही कायम की और महिलाओं को सशक्त बनाने में अपना महती योगदान दिया।श्रीमती सुशीला गटपल्ली ने अपनी उपलब्धि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गांव में काम नहीं होने के कारण ग्रामीण आस-पास के अन्य गांवों में कार्य की तलाश में जाते थे। वहीं गांव की महिलाएं या तो गांव में रहकर घर का काम करती या आस-पास मजदूरी करने के लिये चली जाती। मैंने सोचा कि अपने गांव में ही क्यों न मजदूरी मिले, सो महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत में अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत कराने की कार्ययोजना बनाई। मेरे मन-मस्तिष्क में तो बस ग्रामवासियों को अधिक से अधिक काम के अवसर, गांव में ही दिलाना की इच्छा थी। सो मैंने इस तरफ पूरी तरह ध्यान देना शुरू कर दिया और परिणाम आपके सामने हैं।उन्हांेंने भू-जल आवर्धन के लिए के डबरी और तालाब निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी। श्रीमती सुशीलपा अपने ग्राम पंचायत के आश्रित गांव पेरमपल्ली में 1200 मीटर और सेमलडोडी में 3500 मीटर, 1200 मीटर तथा 700 मीटर पृथक-पृथक सिंचाई नाली निर्माण कराया। इससे क्षेत्र में धान की पैदावार अच्छी हुई है। इस निर्माण कार्य से आस-पास के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और सूखे की स्थिति नियंत्रित हो रही है।
महिलाओं की भागीदारी के संबंध में सरपंच श्रीमती सुशीला कहती हैं कि घर में विपरीत परिस्थितियों का असर सबसे पहले महिलाओं पर ही पड़ता है। एक महिला सरपंच होने के कारण गांव की महिलाएं मेरे पास अपनी आर्थिक समस्याओं को लेकर आती थी, मैं उन्हें सबसे पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत गांव में चल रहे कार्यों में काम करने के लिए कहती थी, ताकि उनके हाथों में भी खर्च के लिए रुपये रहंे। मेरे लगातार बोलने पर महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोत्तरी हुई। सरपंच श्रीमती सुशीला ने बताया कि गांव-सेमलडोडी एवं पेरमपल्ली में हुए कच्ची नाली निर्माण कार्य में पिचिंग कार्य कर, उसे स्थाई नाली में बदलना, आश्रित गांव-उठलापल्ली में प्राकृतिक झरना है, उसके पानी को वाटरशेड के कार्यों जैसे चेकडेम और नहर नाली बनवाकर, किसानों की लगभग 300 एकड़ के खेतों को सिंचित किया जाना, ग्राम सेमलडोडी में लगभग 8-9 एकड़ का सिंचाई विभाग का एक तालाब निर्मित है, किंतु यह पूरा भर नहीं पाता है। यहाँ पहाड़ में बोल्डर चेक, गेबियन संरचना बनाकर अधिक से अधिक बरसात के पानी का इस तालाब में संचय कर सिंचाई के लिए उपयोग किये जाने की भी एक महती योजना है। हम निश्चित रूप से सभी की मेहनत से इसमें सफल होंगे।
बीजापुर जिले के उसूर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-सेमलडोडी में इस वर्ष फरवरी माह तक महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 30 हजार 78 मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। जिले स्तर पर यह ग्राम पंचायत सर्वाधिक रोजगार सृजित करने के साथ-साथ महिलाओं को भी सबसे अधिक रोजगार मुहैया कराने वाली ग्राम पंचायतों की सूची में प्रथम स्थान पर है। ग्राम पंचायत ने महिलाओं द्वारा की गई रोजगार की मांग के आधार पर, कुल 13 हजार 928 मानव दिवस सृजित किया है। ग्राम पंचायत की सरपंच होने के नाते श्रीमती सुशीला गटपल्ली द्वारा गांव की महिलाओं के लिए किया गया यह प्रयास, जिले के अन्य सरपंचों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन गया है।वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिले में सर्वाधिक रोजगार देने वाली पंचायत के सरपंच का खिताब पाने वाली सरपंच श्रीमती सुशीला गटपल्ली का यह सफर आसान नहीं था। उन्होंने धैर्य के साथ सभी पंचायत प्रतिनिधियों को साथ में लेते हुये काम किया। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत जो कार्य स्वीकृत कराये, वे आम के आम और गुठली के दाम वाले साबित हुए। उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा की आत्मा ‘हर हाथ को काम’ मिले के साथ-साथ जल संरक्षण के कार्य प्राथमिकता से लिये। इस तरह उन्होंने एक तरह से मिसाल ही कायम की और महिलाओं को सशक्त बनाने में अपना महती योगदान दिया।श्रीमती सुशीला गटपल्ली ने अपनी उपलब्धि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गांव में काम नहीं होने के कारण ग्रामीण आस-पास के अन्य गांवों में कार्य की तलाश में जाते थे। वहीं गांव की महिलाएं या तो गांव में रहकर घर का काम करती या आस-पास मजदूरी करने के लिये चली जाती। मैंने सोचा कि अपने गांव में ही क्यों न मजदूरी मिले, सो महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत में अधिक से अधिक कार्य स्वीकृत कराने की कार्ययोजना बनाई। मेरे मन-मस्तिष्क में तो बस ग्रामवासियों को अधिक से अधिक काम के अवसर, गांव में ही दिलाना की इच्छा थी। सो मैंने इस तरफ पूरी तरह ध्यान देना शुरू कर दिया और परिणाम आपके सामने हैं।उन्हांेंने भू-जल आवर्धन के लिए के डबरी और तालाब निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी। श्रीमती सुशीलपा अपने ग्राम पंचायत के आश्रित गांव पेरमपल्ली में 1200 मीटर और सेमलडोडी में 3500 मीटर, 1200 मीटर तथा 700 मीटर पृथक-पृथक सिंचाई नाली निर्माण कराया। इससे क्षेत्र में धान की पैदावार अच्छी हुई है। इस निर्माण कार्य से आस-पास के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और सूखे की स्थिति नियंत्रित हो रही है।
महिलाओं की भागीदारी के संबंध में सरपंच श्रीमती सुशीला कहती हैं कि घर में विपरीत परिस्थितियों का असर सबसे पहले महिलाओं पर ही पड़ता है। एक महिला सरपंच होने के कारण गांव की महिलाएं मेरे पास अपनी आर्थिक समस्याओं को लेकर आती थी, मैं उन्हें सबसे पहले महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत गांव में चल रहे कार्यों में काम करने के लिए कहती थी, ताकि उनके हाथों में भी खर्च के लिए रुपये रहंे। मेरे लगातार बोलने पर महिलाओं की भागीदारी में बढ़ोत्तरी हुई। सरपंच श्रीमती सुशीला ने बताया कि गांव-सेमलडोडी एवं पेरमपल्ली में हुए कच्ची नाली निर्माण कार्य में पिचिंग कार्य कर, उसे स्थाई नाली में बदलना, आश्रित गांव-उठलापल्ली में प्राकृतिक झरना है, उसके पानी को वाटरशेड के कार्यों जैसे चेकडेम और नहर नाली बनवाकर, किसानों की लगभग 300 एकड़ के खेतों को सिंचित किया जाना, ग्राम सेमलडोडी में लगभग 8-9 एकड़ का सिंचाई विभाग का एक तालाब निर्मित है, किंतु यह पूरा भर नहीं पाता है। यहाँ पहाड़ में बोल्डर चेक, गेबियन संरचना बनाकर अधिक से अधिक बरसात के पानी का इस तालाब में संचय कर सिंचाई के लिए उपयोग किये जाने की भी एक महती योजना है। हम निश्चित रूप से सभी की मेहनत से इसमें सफल होंगे।
क्रमांक-1037/ओम