संत कबीर सामाजिक समरसता के प्रबल पक्षधर थे: डॉ. रमन सिंह
‘कबीर साहित्य में समरसता और संचार’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
‘कबीर साहित्य में समरसता और संचार’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
रायपुर, 11 जून 2017
हरियाणा के
राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने आज यहां कबीर जयंती के अवसर पर
आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा - संत कबीर दुनिया के सबसे बड़े
संचारक थे। उन्होंने अपने विचारों और वाणी से तत्कालीन समाज में समरसता,
वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना और मानवतावाद का संचार करने का प्रयास किया।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय तथा कबीर विचार विकास
एवं अध्ययन केन्द्र द्वारा ‘कबीर साहित्य में समरसता और संचार’ विषय पर
संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में महंत श्री मंगलम दास विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘केटीयू न्यूज’ का राज्यपाल प्रोफेसर सोलंकी ने विमोचन किया। कार्यक्रम का आयोजन कबीर जयंती के उपलक्ष्य में किया गया। स्थानीय नवीन विश्राम भवन के सभाकक्ष में आयोजित संगोष्ठी में प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि संत कबीर ने समाज में अव्यवस्था, पाखण्ड और कुरीतियों को देखकर जो कहा वह समाज के लिए हमेशा आवश्यक था और आगे भी आवश्यक रहेगा। उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए हमें संतों की वाणी की ओर जाना होगा। हमें संत कबीर के दर्शन पर विचार करना होगा। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को समता, समरसता, कर्मठता जैसे गुणों के साथ संस्कारित करने की आवश्यकता बताई। प्रोफेसर सोलंकी ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की स्थापना करने के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि पत्रकारिता स्वस्थ, सकारात्मक और समाज को सही दिशा देने वाली नहीं हुई, तो लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, सुशासन नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के माध्यम से युवाओं को पत्रकारिता का अच्छा प्रशिक्षण मिल सकेगा। उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से योग्य, सच्ची और लोक कल्याणकारी बातों का संचार करने का आग्रह किया। प्रोफेसर सोलंकी ने एकात्म मानववाद के प्रवर्तक पं. दीनदयाल उपाध्याय और वरिष्ठ नेता और समाज सेवक श्री कुशाभाऊ ठाकरे को याद करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी संत कबीर के विचारों से अनुप्राणित थे।
अध्यक्षीय आसंदी से कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा - संत कबीर मानवता के हित में सभी धर्मों के बीच परस्पर समन्वय और सामाजिक समरसता के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने हमेशा सामाजिक विसंगतियों और पाखण्ड पर प्रहार किया और अपने विचारों को दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस के साथ अभिव्यक्ति प्रदान की। समरसता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि संत कबीर के निधन के बाद हिन्दू और मुसलमान अपनी-अपनी परम्पराओं के साथ उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे। उनके विचार आज और भी ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं। उन्होंने कालजयी साहित्य की रचना की।
डॉ. सिंह ने कहा - संत कबीर के जीवन दर्शन और उनकी रचनाओं का अध्ययन विश्वविद्यालयों में होना चाहिए। इससे युवाओं के विचारों को सही दिशा मिलेगी और एक सक्षम तथा विचारवान पीढ़ी के निर्माण में सहायता मिलेगी। उन्होंने स्वर्गीय श्री कुशाभाऊ ठाकरे को याद करते हुए कहा कि उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने और मां भारती की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि आज पूरी दुनिया एक वैश्विक गांव में परिवर्तित हो गई है तो संत कबीर से बड़ा इसका कोई दूसरा ब्राण्ड एम्बेसडर नहीं हो सकता। संगोष्ठी में महंत श्री मंगलम दास ने कहा कि संत महापुरूषों के दर्शन और विचारों को शैक्षणिक संस्थाओं के अध्ययन में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम संत कबीर को समाज सुधारक और क्रांतिकारी विचारक के रूप में जानते हैं। अनेक महान व्यक्ति उनके दर्शन से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने संत कबीर के बारे में गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और पंडित सुंदरलाल शर्मा के विचारों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज संत कबीर के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. मानसिंह परमार ने कार्यक्रम की रूपरेखा और संगोष्ठी की विषयवस्तु पर विस्तार से प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री गिरीशचंद्र पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधु-संत और प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कबीरपंथ के अनुयायी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में महंत श्री मंगलम दास विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘केटीयू न्यूज’ का राज्यपाल प्रोफेसर सोलंकी ने विमोचन किया। कार्यक्रम का आयोजन कबीर जयंती के उपलक्ष्य में किया गया। स्थानीय नवीन विश्राम भवन के सभाकक्ष में आयोजित संगोष्ठी में प्रोफेसर सोलंकी ने कहा कि संत कबीर ने समाज में अव्यवस्था, पाखण्ड और कुरीतियों को देखकर जो कहा वह समाज के लिए हमेशा आवश्यक था और आगे भी आवश्यक रहेगा। उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए हमें संतों की वाणी की ओर जाना होगा। हमें संत कबीर के दर्शन पर विचार करना होगा। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से नई पीढ़ी को समता, समरसता, कर्मठता जैसे गुणों के साथ संस्कारित करने की आवश्यकता बताई। प्रोफेसर सोलंकी ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की स्थापना करने के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि पत्रकारिता स्वस्थ, सकारात्मक और समाज को सही दिशा देने वाली नहीं हुई, तो लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, सुशासन नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के माध्यम से युवाओं को पत्रकारिता का अच्छा प्रशिक्षण मिल सकेगा। उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से योग्य, सच्ची और लोक कल्याणकारी बातों का संचार करने का आग्रह किया। प्रोफेसर सोलंकी ने एकात्म मानववाद के प्रवर्तक पं. दीनदयाल उपाध्याय और वरिष्ठ नेता और समाज सेवक श्री कुशाभाऊ ठाकरे को याद करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी संत कबीर के विचारों से अनुप्राणित थे।
अध्यक्षीय आसंदी से कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा - संत कबीर मानवता के हित में सभी धर्मों के बीच परस्पर समन्वय और सामाजिक समरसता के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने हमेशा सामाजिक विसंगतियों और पाखण्ड पर प्रहार किया और अपने विचारों को दृढ़ इच्छाशक्ति और साहस के साथ अभिव्यक्ति प्रदान की। समरसता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि संत कबीर के निधन के बाद हिन्दू और मुसलमान अपनी-अपनी परम्पराओं के साथ उनका अंतिम संस्कार करना चाहते थे। उनके विचार आज और भी ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं। उन्होंने कालजयी साहित्य की रचना की।
डॉ. सिंह ने कहा - संत कबीर के जीवन दर्शन और उनकी रचनाओं का अध्ययन विश्वविद्यालयों में होना चाहिए। इससे युवाओं के विचारों को सही दिशा मिलेगी और एक सक्षम तथा विचारवान पीढ़ी के निर्माण में सहायता मिलेगी। उन्होंने स्वर्गीय श्री कुशाभाऊ ठाकरे को याद करते हुए कहा कि उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने और मां भारती की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि आज पूरी दुनिया एक वैश्विक गांव में परिवर्तित हो गई है तो संत कबीर से बड़ा इसका कोई दूसरा ब्राण्ड एम्बेसडर नहीं हो सकता। संगोष्ठी में महंत श्री मंगलम दास ने कहा कि संत महापुरूषों के दर्शन और विचारों को शैक्षणिक संस्थाओं के अध्ययन में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम संत कबीर को समाज सुधारक और क्रांतिकारी विचारक के रूप में जानते हैं। अनेक महान व्यक्ति उनके दर्शन से प्रभावित रहे हैं। उन्होंने संत कबीर के बारे में गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और पंडित सुंदरलाल शर्मा के विचारों के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज संत कबीर के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. मानसिंह परमार ने कार्यक्रम की रूपरेखा और संगोष्ठी की विषयवस्तु पर विस्तार से प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री गिरीशचंद्र पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधु-संत और प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कबीरपंथ के अनुयायी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
क्रमांक 1087/सोलंकी