रायपुर, 02 जून 2017
सिंचाई साधन वाले किसानों को अपने खेतों में खरपतवारों के बीजों को नष्ट करने एक से डेढ़ इंच पानी भरना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि विभाग के अधिकारियों ने आज यहां जारी विशेष कृषि बुलेटिन में किसानों को यह सलाह दी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मक्के की फसल में तना छेदक का प्रकोप दिखाई दे रहा हो तो कार्बोफ्यूरान के दो-तीन दानें मक्के के पौधे के ऊपरी भाग में प्रति पौधा डालना चाहिए।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि सिंचाई के साधन होने की स्थिति में धान का थरहा तैयार करने के लिए खेतों में पानी का पलेवा देकर उपयुक्त ओल आते ही खेतों की अच्छी तरह जोताई कर खेत भुरभुरी रखना चाहिए। इस तरह की जोताई में खरपतवार काफी हद तक नष्ट हो जाते हैं तथा खेत तैयार रहने से जून के प्रथम पखवाड़े में थरहा तैयार करने के लिए बोआई कर सकते हैं। सब्जी बोने वाले किसान खरीफ की नार वाली सब्जी फसलों जैसे लौकी, कुम्हड़ा को पॉलीबैग में पौधा तैयार कर सकते हैं। इसी प्रकार करेला व बरबट्टी बोने के लिए अच्छी किस्मों के बीजों का चयन कर मेड़ नाली पद्धति से इनकी बोनी की जा सकती है। कुन्दरू और परवल लगाने के लिए भी खेतों को तैयार करने का यह उपयुक्त समय है। केला और पपीता फसलों में अधिक वाष्प उत्सर्जन की स्थिति को देखते हुए ड्रिप में पानी की मात्रा बढ़ाना जरूरी हो गया है।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि सिंचाई के साधन होने की स्थिति में धान का थरहा तैयार करने के लिए खेतों में पानी का पलेवा देकर उपयुक्त ओल आते ही खेतों की अच्छी तरह जोताई कर खेत भुरभुरी रखना चाहिए। इस तरह की जोताई में खरपतवार काफी हद तक नष्ट हो जाते हैं तथा खेत तैयार रहने से जून के प्रथम पखवाड़े में थरहा तैयार करने के लिए बोआई कर सकते हैं। सब्जी बोने वाले किसान खरीफ की नार वाली सब्जी फसलों जैसे लौकी, कुम्हड़ा को पॉलीबैग में पौधा तैयार कर सकते हैं। इसी प्रकार करेला व बरबट्टी बोने के लिए अच्छी किस्मों के बीजों का चयन कर मेड़ नाली पद्धति से इनकी बोनी की जा सकती है। कुन्दरू और परवल लगाने के लिए भी खेतों को तैयार करने का यह उपयुक्त समय है। केला और पपीता फसलों में अधिक वाष्प उत्सर्जन की स्थिति को देखते हुए ड्रिप में पानी की मात्रा बढ़ाना जरूरी हो गया है।
क्रमांक-1005/राजेश