Saturday, 13 May 2017

हमर छत्तीसगढ़ योजना : गौशाला में बेसहारा पशुओं को मिला ठिकाना




रायपुर. 13 मई 2017
   खुले में घूम रहे पालतू पशुओं गाय, भैंस और बकरी द्वारा खेतों की फसल चरने से किसानों को बहुत नुकसान होता है। इनके सड़कों में इधर-उधर भटकने से होने वाली दुर्घटनाओं में पशुधन की हानि भी होती है। गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखंड के कोपरा पंचायत ने इस समस्या से निपटने गौशाला का निर्माण कराया है। राज्य शासन के पशुधन विकास विभाग की मदद से निर्मित इस गौशाला में बेसहारा और लावारिस घूमने वाले पशुओं को ठिकाना मिल रहा है।
हमर छत्तीसगढ़ योजना में अध्ययन भ्रमण पर रायपुर आईं कोपरा की सरपंच श्रीमती डॉली साहू बताती हैं कि खेती-किसानी से जुड़े होने के कारण अधिकांश परिवार गाय-भैंस या भेड़-बकरियां पालते हैं। गांव में यहां-वहां घूमते पालतू पशुओं को कई-कई दिन तक ठीक से चारा और भोजन नहीं मिल पाता। इससे वे शारीरिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। वे बताती हैं कि पहले गांव में पालतू पशुओं के लिए कोई आश्रय स्थल नहीं होने से पकड़े जाने पर उन्हें 15 किलोमीटर दूर सिरकट्टी गांव के कांजी हाउस या फिर 40 किलोमीटर दूर धवलपुर पंचायत के गौशाला में भेजना पड़ता था।
सरपंच श्रीमती साहू कहती हैं गरियाबंद में हुए कृषक सम्मेलन में उन्हें पशुधन मित्र योजना के बारे में पता चला। वहां बताया गया कि पालतू पशुओं के संरक्षण, विकास और देखभाल के लिए योजना के तहत पंचायतों को अनुदान राशि दिया जाता है। अपने पंचायत की ओर से उन्होंने पशुधन विकास विभाग में आवेदन दिया। गौशाला निर्माण की स्वीकृति मिलने पर पांच लाख रूपए की लागत से पांच एकड़ भूमि पर गौशाला निर्माण कराया गया। अब गांव में कोई पालतू पशु लावारिस घूमते नहीं दिखता। ऐसे सभी पशुओं को गौशाला में रखा जाता है।
श्रीमती साहू बताती हैं कि गांव में गौशाला बन जाने से दो फायदे हुए हैं। एक तो पालतू पशुओं को रहने-खाने और चारे के लिए भटकना नहीं पड़ता। दूसरा उनके गोबर से जैविक खाद बनाने का काम हो रहा है। गांव के किसान अपने खेतों में रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं। गौशाला की देखरेख एवं संचालन के लिए ग्रामीणों की समिति गठित की गई है। समिति के सदस्यों को मानदेय भी दिया जाता है।
हमर छत्तीसगढ़ योजना में अध्ययन भ्रमण के बारे में सरपंच श्रीमती साहू कहती हैं कि सरकार की यह योजना बहुत ही उद्देश्यपूर्ण है। पंच-सरपंच यहां एक साथ कई अनुभवों भ्रमण, अध्ययन, मनोरंजन और प्रशिक्षण से गुजरते हैं। खासकर महिला जनप्रतिनिधियों के लिए यह बेहद अच्छा अवसर है। उन्हें अपने गांव-घर से बाहर निकलने के ज्यादा मौके नहीं मिल पाते। ऐसे में यह योजना उनके लिए बहुत ज्ञानवर्धक और उपयोगी है।
क्रमांक-711/कमलेश
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