रायपुर, 22 मई 2017
वनमंत्री श्री महेश गागड़ा ने कहा है कि हमारा प्रदेश जैव विविधता के क्षेत्र में धनी है। मिल-जुल कर सभी के प्रयासों से ही इसका संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि जैव विविधता बचेगी तब ही हम बचे रह सकते हैं। श्री गागड़ा आज यहां रायपुर के नवीन विश्राम भवन के सभाकक्ष में अन्तर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर में जैव विविधता एवं संवहनीय पर्यटन विषय पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। संगोष्ठी में विशेषज्ञ वक्ताओं ने जैव विविधता संवहनीय और इको टूरिज्म के बारे में अपने विचार रखे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड से संबंधित दिशा-निर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया।
वनमंत्री श्री महेश गागड़ा ने कहा कि हमारे आस-पास मौजूद वनस्पतियों एवं जीव-जन्तुओं के संरक्षण े लिए बेहतर प्रयास करने होंगे। उन्होंने संगोष्ठी में उपस्थित विशेषज्ञ वक्ताओं से आग्रह किया कि प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण, संवहनीय पर्यटन एवं इको टूरिज्म के लिए अपने महत्वपूर्ण अनुभवों को साझा करें, जियये कारगर कार्ययोजना तैयार किया जा सके। छत्तीसगढ़ वनौषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह ने कहा कि हमारी धरती पर जो वनस्पति जीव-जन्तु विद्यमान है। वे सब एक दूसरे के पूरक है तथा मनुष्य का जीवन भी इन्हीं पर आधारित है। यदि इनको नुकसान पहुंचता है, तो इंसान का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे वनों के आस-पास ऐसी अनेकों बहुमूल्य वनोषधियां हैं। इनका संरक्षण मानव जीवन के लिए आवश्यक है।
प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य प्राणी एवं जैव विविधता संरक्षण) श्री आर.के. सिंह ने अपने स्वागत उदबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति जैव विविधता के मामले में धनी प्रदेश है। हमें वन्य जीवों के संरक्षण एवं स्वछंद विचरण के लिए व्यापक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की परम्पारओं, संस्कृति का संरक्षण करते हुए पर्यटन के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी से इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। संगोष्ठी में कर्नाटका राज्य टूरिज्म डेव्हल्पमेंट बोर्ड के प्रबंध संचालक डॉ.विनय लूथरा ने छत्तीसगढ़ में संवहनीय पर्यटन की संभावनाओं पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां इको टूरिज्म की काफी संभावनाएं है। उन्होंने कर्नाटक में इसके विकास के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि यहां पर वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगोें के सहयोग से इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने छोटे जीव-जन्तुओं को भी टूरिस्ट के आकर्षण का केन्द्र बनाए जाने की बात कहीं। श्री लुथरा ने प्रजेंटेशन के जरिए टूरिज्म के विविध तकनीकी तथ्यों की जानकारी दी।
भोपाल (मध्यप्रदेश) से आए जीव विशेषज्ञ एवं सेवा निवृत्त मुख्य वन संरक्षक डॉ. सुहास कुमार ने कहा कि नियम प्रक्रियाओं का पालन करते हुए इको टूरिज्म का विकास करना होगा और इसके लिए स्थानीय स्तर पर मार्केट को बढावा देना होगा। वन क्षेत्रों के पास रहने वाले लोगों की आर्थिक हितों का ध्यान देना होगा तथा टूरिज्म में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। डॉ. कुमार ने वन विभाग के अधिकारियों से कहा कि इको टूरिज्म योजना बनाते समय कानूनी प्रावधानों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। जैव विविधत की सदस्य सचिव श्रीमती संजिता गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर संगोष्ठी में संसदीय सचिव सुश्री चम्पादेवी पावले, राज्य औषधीय बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. जे.पी.शर्मा, राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निर्देशक डॉ. ए.ए.बोआज सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वन विभाग के प्रशिक्षणार्थी तथा स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्य प्राणी एवं जैव विविधता संरक्षण) श्री आर.के. सिंह ने अपने स्वागत उदबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ लोक संस्कृति जैव विविधता के मामले में धनी प्रदेश है। हमें वन्य जीवों के संरक्षण एवं स्वछंद विचरण के लिए व्यापक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की परम्पारओं, संस्कृति का संरक्षण करते हुए पर्यटन के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस संगोष्ठी से इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। संगोष्ठी में कर्नाटका राज्य टूरिज्म डेव्हल्पमेंट बोर्ड के प्रबंध संचालक डॉ.विनय लूथरा ने छत्तीसगढ़ में संवहनीय पर्यटन की संभावनाओं पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यहां इको टूरिज्म की काफी संभावनाएं है। उन्होंने कर्नाटक में इसके विकास के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि यहां पर वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले लोगोें के सहयोग से इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने छोटे जीव-जन्तुओं को भी टूरिस्ट के आकर्षण का केन्द्र बनाए जाने की बात कहीं। श्री लुथरा ने प्रजेंटेशन के जरिए टूरिज्म के विविध तकनीकी तथ्यों की जानकारी दी।
भोपाल (मध्यप्रदेश) से आए जीव विशेषज्ञ एवं सेवा निवृत्त मुख्य वन संरक्षक डॉ. सुहास कुमार ने कहा कि नियम प्रक्रियाओं का पालन करते हुए इको टूरिज्म का विकास करना होगा और इसके लिए स्थानीय स्तर पर मार्केट को बढावा देना होगा। वन क्षेत्रों के पास रहने वाले लोगों की आर्थिक हितों का ध्यान देना होगा तथा टूरिज्म में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। डॉ. कुमार ने वन विभाग के अधिकारियों से कहा कि इको टूरिज्म योजना बनाते समय कानूनी प्रावधानों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। जैव विविधत की सदस्य सचिव श्रीमती संजिता गुप्ता ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर संगोष्ठी में संसदीय सचिव सुश्री चम्पादेवी पावले, राज्य औषधीय बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. जे.पी.शर्मा, राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निर्देशक डॉ. ए.ए.बोआज सहित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वन विभाग के प्रशिक्षणार्थी तथा स्कूली छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
क्रमांक-850/चौधरी