रायपुर, 10 मई 2017
वन मंत्री श्री महेश गागड़ा बेंगलूरू में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन में शामिल हुए। सम्मेलन का आज दूसरा दिन था। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन श्री श्री रविशंकर महाराज की संस्था श्री इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साईंसेस एण्ड टेक्नोॅलॉजी ट्रस्ट द्वारा किया गया। श्री गागड़ा ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा - प्रकृतिक खेती से ही भूमि की उर्वरा शक्ति का संरक्षण संभव है। किसान बंधु नेचुरल फॉर्मिंग अपनाकर अपने कृषि व्यवसाय को लाभप्रद और पर्यावरणीय दृष्टि से उपयोगी बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन विश्व पोषण एवं खाद्य सुरक्षा पर सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। किसी भी व्यक्ति को भोजन का अभाव न हो और इसके लिए आवश्यक है कि हम भूमि की ऊर्वरा शक्ति को संरक्षित रखें। नेचुरल फॉर्मिंग की पद्धति से यह संभव है। सम्मेलन में बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के कृषक भी शामिल हुए। इस अवसर पर श्री श्री रविशंकर महाराज भी उपस्थित थे।
वन मंत्री ने कहा कि आदिवासी बंधु आदिम काल से प्रकृति के उपासक और संरक्षक रहे हैं। श्री गागड़ा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग और वन विभाग के समन्वय से इस गंभीर महत्वपूर्ण विषय के प्रति आमजनों को जागरुक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सम्मेलन में विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि रासायनिक ऊर्वरकों और कीटनाशकों के निरंतर उपयोग से कृषि उत्पाद की गुणवत्ता के साथ साथ भूमि की ऊर्वरकता भी निरंतर क्षीण हो रही है। जो भविष्य में संपूर्ण मानव जाति के अस्तित्व के लिए गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती है। इस सम्मेलन में इंडोनेशिया मेसर्स हिस्ट्री की श्रीमती हिलमेन मुख्य वक्ता के रुप में सम्मिलित हुई। आंध्र प्रदेश के कृषि मंत्री श्री चन्द्रमोहन रेड्डी, तेलंगाना के पंचायत मंत्री श्री जूपल्ली कृष्णा राव सहित प्रसिद्ध पर्यावरणविद और नवदान्य संस्था की संस्थापिका श्रीमती वंदना शिवा भी उपस्थित थीं। सम्मेलन में देश विदेश के अनेक विद्वान, वैज्ञानिक, उद्यमियों, सरकारी प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कृषकों ने हिस्सा लिया।
वन मंत्री ने कहा कि आदिवासी बंधु आदिम काल से प्रकृति के उपासक और संरक्षक रहे हैं। श्री गागड़ा ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग और वन विभाग के समन्वय से इस गंभीर महत्वपूर्ण विषय के प्रति आमजनों को जागरुक करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सम्मेलन में विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि रासायनिक ऊर्वरकों और कीटनाशकों के निरंतर उपयोग से कृषि उत्पाद की गुणवत्ता के साथ साथ भूमि की ऊर्वरकता भी निरंतर क्षीण हो रही है। जो भविष्य में संपूर्ण मानव जाति के अस्तित्व के लिए गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती है। इस सम्मेलन में इंडोनेशिया मेसर्स हिस्ट्री की श्रीमती हिलमेन मुख्य वक्ता के रुप में सम्मिलित हुई। आंध्र प्रदेश के कृषि मंत्री श्री चन्द्रमोहन रेड्डी, तेलंगाना के पंचायत मंत्री श्री जूपल्ली कृष्णा राव सहित प्रसिद्ध पर्यावरणविद और नवदान्य संस्था की संस्थापिका श्रीमती वंदना शिवा भी उपस्थित थीं। सम्मेलन में देश विदेश के अनेक विद्वान, वैज्ञानिक, उद्यमियों, सरकारी प्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कृषकों ने हिस्सा लिया।
क्रमांक-663/सोलंकी