महिला उद्घोषक
श्रोताओं नमस्कार!
श्रोताओं नमस्कार!
- आकाशवाणी के विशेष प्रसारण ‘रमन के गोठ’ में हम, सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत करते हैं, अभिनंदन करते हैं। कार्यक्रम की तेइसवीं कड़़ी के लिए आकाशवाणी के स्टुडियो में माननीय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी पधार चुके हैं।
- डॉक्टर साहब नमस्कार, कार्यक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।
मुख्यमंत्री जी
- धन्यवाद। आपका और अपने रेडियो व टीवी सेट्स के सामने बैठकर मुझे सुन रहे श्रोताओं का भी।
- जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, महतारी-बहिनी मन ला जय जोहार। झड़ी-बादर के दिन शुरू हो गे हे। हरियाली ले, धरती माता के सिंगार होही, अउ किसान-भाई-बहिनी मन के जीवन म उत्साह-उमंग आ जाही।
- सावन माह में विशेष करके भगवान शंकर के पूजा-पाठ होथे। सावन-सोमवार के उपवास रखे जाथंे। कांवरियां मन, जल यात्रा करथें। जघा-जघा म सावन मेला लगही। जघा-जघा पेड़ म झूला झूले के त्यौहार हे।
- हरियाली के तिहार, जिनगी के तिहार, बन जथे। ते पाय के जम्मो मन ल बधाई देवत हवं।
- संगवारी हो, जतका हो सके पेड़-पौधा लगावव, अउ धरती ल हरियर बनावव। हमर सरकार ए बछर 8 करोड़ पौधा लगाए के संकल्प ले हे, जेला जम्मो-मिल जुल के पूरा करबो।
- 20 जुलाई के तारीख ल सबला सुरता रखना हे पूरा छत्तीसगढ़ के सभी जिला में, तहसील में, ब्लॉक में, पंचायत में एखर लिये निर्देश भी जारी होये हे। कलेक्टर मन ला अउ फॉरेस्ट के अधिकारी मन ल कि 20 जुलाई के पूरा छत्तीसगढ़ म हमन ये तिहार ल एक साथ जुल-मिल के मनाबो। अउ 8 करोड़ पौधा लगाये के जेन बड़े लक्ष्य हे, ओ दिन हमन ल शुरूआत करके संकल्प ल पूरा करना हे।
- अपन खुद के जमीन में, खेत में यदि पेड़ लगाना हे ओखरो बर पेड़ उपलब्ध हे, फलदार वृक्ष भी उपलब्ध हे। यह अभियान ल हम सब ला मिल के सफल बनाना हे।
पुरूष उद्घोषक
- डॉक्टर साहब, आपने सावन का जिक्र किया सावन का महीना किसानों की उम्मीद का महीना होता है। किसान भाई-बहन तो बहुत बेसब्री से इस मौसम का इंतजार करते हैं। क्या यह बरसात, किसान भाइयों के लिए खुशियों की बरसात सिद्ध होगी ?
मुख्यमंत्री जी
- मैं इस कार्यक्रम के माध्यम से अन्नदाताओं का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
- राज्य की समृद्धि और खुशहाली में हमारे किसान भाई-बहनों और उनके परिवारजनों का भरपूर योगदान रहा है। धान से लेकर दलहन-तिलहन तक, उद्यानिकी से लेकर पशुपालन-मछली पालन तक हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी सफलताएं मिली हैं। छत्तीसगढ़ को पांच साल में चार बार ‘राष्ट्रीय कृषि कर्मण’ पुरस्कार भी मिला हैं।
- इस साल अच्छी बारिश होने की संभावना है, जिससे इस वर्ष धान उत्पादन का नया कीर्तिमान बनाने की उम्मीद हम करते हैं।
- खरीफ 2017 में 48 लाख हेक्टेयर रकबे में बोनी का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 36 लाख 50 हजार हेक्टेयर में धान बोया जाएगा।
- 4 लाख हेक्टेयर में दलहन, 3 लाख हेक्टेयर में तिलहन और लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर में साग-सब्जी, गन्ना आदि फसलें लगाई जाएंगी।
- इस वर्ष अनाज, दलहन, तिलहन, साग-सब्जी मिलाकर 91 लाख 76 हजार मीट्रिक टन फसल उत्पादन का अनुमान है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि यह लक्ष्य पूरा हो और अच्छी फसल से किसानों के घर में खुशियों की बरसात हो।
महिला उद्घोषक
- माननीय मुख्यमंत्री जी, एक समय था, जब किसानों को यह चिंता करनी पड़ती थी, कि बीज कहां से आएगा, खाद कैसे मिलेगी, दवा कैसे मिलेगी, बिजली कैसे मिलेगी ? आपने ऐसी कौन सी व्यवस्थाएं की हैं, जिससे कि किसान भाई-बहन निश्ंिचत होकर अपना पूरा समय और श्रम खेती के काम में लगा सके।
मुख्यमंत्री जी
- हमने किसानों की सुविधा के लिए योजनाओं का ऐसा ताना-बाना बुना है, कि किसानों को हर चीज, सही समय पर, बिना किसी दिक्कत के मिल सके।
- 7 लाख 45 हजार क्विंटल बीजों का तथा 10 लाख 65 हजार मीट्रिक टन खाद का इंतजाम भी किया गया है।
- किसानों को पहले 14 प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण लेना पड़ता था, जो ऊंची दर होने के कारण, किसान ब्याज पटाने के चक्कर में परेशान रहते थे और डिफाल्टर होने से उनकी प्रगति रूक जाती थी। महंगे कर्ज के दुष्चक्र को हमने तोड़ दिया है।
- हमने लगातार ब्याज दर कम की और लगभग पांच साल से बिना ब्याज के अल्पकालिक कृषि ऋण दे रहे हैं, जिसका लाभ हर साल 11 लाख किसानों को मिलता है।
- आप लोगों को बताना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़, देश का पहला राज्य बनाया गया, जिसने किसानों को ब्याज मुक्त ऋण देने की व्यवस्था की थी।
- राज्य में किसान पहले सिर्फ 150 करोड़ रूपए का ऋण ही लेते थे, लेकिन ब्याज मुक्त ऋण मिलने के बाद धीरे-धीरे परिवर्तन आया आज 3 हजार करोड़ रूपए से अधिक कृषि ऋण किसान उठा रहे हैं।
- इससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में किसानों की अर्थ-व्यवस्था ने कितनी ऊंची छलांग लगाई है। 20 गुना अधिक ऋण लेने से उनके उत्पादन का मूल्य भी कई गुना अधिक बढ़ा है।
- धान छत्तीसगढ़ की जान है। इसलिए हमने धान खरीदी की शानदार और पारदर्शी व्यवस्था की है, हमारी ’’किसान हितकारी व्यवस्था’’ की तारीफ पूरे देश में हो रही है।
- 1 हजार 989 उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी की व्यवस्था है।
- विगत 13 वर्षों में 6 करोड़ 22 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और किसानों को करीब 64 हजार 730 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया।
- कृषि लागत कम करने के उपाय, अच्छी फसल, खरीदी की शानदार व्यवस्था आदि के कारण किसानों में समृद्धि बढ़ी है। इसलिए मैं कहता हूं कि किसानों की जिंदगी में सुखद बदलाव आया है।
- धमतरी में प्रदेश का पहला ‘किसान-बाजार’ शुरू किया गया है। जिला प्रशासन की पहल पर ऐसी व्यवस्था की गई है, जिसमें उत्पादक और ग्राहक को नजदीक लाया गया है और मध्यस्थ को हटा दिया गया है। इस तरह सब्जी उत्पादक किसानों को अपनी उपज का अच्छा दाम मिल रहा है और नागरिकों को सस्ती और ताजी सब्जी मिल रही है।
- ‘किसान-बाजार’ में सब्जी उत्पादकों के सत्यापन, पंजीयन, काउंटर आवंटन, तौल-मशीन आदि की व्यवस्था की गई है। सब्जी की दर एक समिति तय करती है। यहां रोज लगभग डेढ़ टन सब्जी सुबह दो घण्टे में बिक जाती है।
- मैं चाहता हूं कि ऐसी व्यवस्था अन्य जिलों में भी हो।
पुरूष उद्घोषक
- माननीय मुख्यमंत्री जी, ऐसी कौन सी प्रमुख योजनाएं हैं, जो किसानों की जिंदगी में बड़े बदलाव ला रही हैं ?
मुख्यमंत्री जी
- छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जिसने 5 एच.पी. के पम्पों तक निःशुल्क विद्युत प्रदाय की सुविधा दी है।
- प्रति पम्प 7 हजार 5 सौ यूनिट तक निःशुल्क बिजली देने से प्रति किसानों को औसतन 31 हजार रुपये का वार्षिक लाभ मिल रहा है।
- अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों को प्रति किसान औसतन 50 हजार रुपये का लाभ इस योजना से मिल रहा है।
- इतना ही नहीं, जहां परंपरागत बिजली देना संभव नहीं, वहां ‘‘सौर सुजला योजना’’ के माध्यम से दो वर्षों में 51 हजार सोलर पम्प देने की योजना शुरू की गई है।
- इस योजना में 3 लाख से 5 लाख रूपये मूल्य का पम्प किसानों को केवल 7 हजार से 20 हजार रूपये तक में दिया जा रहा है। 12 हजार किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है।
- लघु एवं सीमांत किसानों को स्प्रिंकलर के लिये 11 हजार 800 रूपए तथा अन्य किसानों को 7 हजार 800 रूपए का अनुदान दिया जा रहा है। इसी तरह ’’ड्रिप’’ के लिये भी 40 हजार से 60 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर तक अनुदान दिया जा रहा है।
- वर्ष 2016-17 में लक्षित 29 हजार हितग्राहियों की संख्या वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 1 लाख से अधिक की गई है।
- माइक्रो-एरीगेशन के लिए नाबार्ड से 193 करोड़ रूपये का ऋण लेकर बड़े पैमाने पर सिंचाई सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।
- प्रदेश में सहकारी क्षेत्र में 4 शक्कर कारखाने स्थापित किए गए हैं। 12 हजार से अधिक किसानों को लगभग 33 हजार रूपये औसत की दर से गन्ना बोनस का भुगतान किया गया है।
- परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत छह जिलों सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर नगर, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा और कोरबा के गांवों में जैविक प्रमाणीकरण का अभियान चलाया जा रहा है। 9 हजार एकड़ क्षेत्र के 8 हजार से अधिक कृषकों को इसमें शामिल किया गया है।
- जैविक खेती मिशन में 5 जिले गरियाबंद, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा एवं दंतेवाड़ा तथा 22 जिलों के एक-एक विकासखंड को पूर्ण जैविक बनाने की कार्ययोजना तैयार की गई है।
- ’पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना में 59 करोड़ रूपए की लागत से 4 हजार 860 हेक्टेयर में ’’ड्रिप’’ तथा 23 हजार से अधिक हेक्टेयर में स्पिं्रकलर सिस्टम स्थापित किये गये हैं।
- ’’राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’’ के तहत नदी, नालों के किनारे 29 हजार से अधिक सेलो ट्यूबवेल का खनन किया गया है, साथ ही 15 करोड़ रूपए की लागत से 185 चेक डेम का निर्माण किया गया है।
- ’’किसान समृद्धि योजना’’ के तहत वर्ष 2016-17 में 5 हजार किसानों के खेतों में 14 करोड़ रूपए की लागत से नलकूप का खनन किया गया है।
- ’’शाकम्भरी योजना’’ में लघु सीमांत कृषकों को 8 हजार 300 कूप खोद कर दिए गए तथा 1 लाख 86 हजार से अधिक पंप दिए गए।
- ’’खरीफ क्रांति विस्तार योजना’’ में 4 लाख 76 हजार कृषकों को 108 करोड़ रूपये की लागत से बीज, फसल प्रदर्शन, एकीकृत कीटनाशक, बोरवेल, कृषि यंत्र आदि का लाभ दिया गया है।
- किसानों को 58 लाख रूपये से अधिक निःशुल्क खसरा एवं नक्शा की प्रतिलिपि दी गई है।
- प्रदेश का सिंचित रकबा 22 प्रतिशत से बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया है।
- ’’अभियान लक्ष्य भागीरथी’’ के तहत 106 पुरानी तथा अपूर्ण योजनाओं को पूर्ण करने से 51 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमता बनी है।
- ’’प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’’ में जल की मांग और उपलब्धता के अंतर को कम करने के लिए जिला तथा राज्य स्तरों पर अलग-अलग सिंचाई योजना तैयार की गई है।‘फास्ट ट्रेक’ प्रगति के लिए राज्य की 3 सिंचाई परियोजनाओं- खारंग, मनियारी और केलो का चयन किया गया है। वर्ष 2019 तक इन योजनाओं में 42 हजार 625 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता सृजित होगी।
महिला उद्घोषक
- माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ’किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी’ करने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह ’प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ को भी किसानों की सुरक्षा की दृष्टि से एक क्रांति माना गया था। इन दोनों योजनाओं को लेकर राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं ?
मुख्यमंत्री जी
- देश में पहली बार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया गया है। जिसमें जलवायु, मिट्टी, स्थानीय विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, रोड मैप तैयार किया गया है कि किस परिस्थिति में कौन सी फसल लेनी चाहिए।
- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ शुरू करके जो क्रान्तिकारी पहल की थी, उसका भरपूर लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को मिल रहा है। सूखा पड़ने के अलावा खेतों पर खड़ी या खलिहान में रखी फसल को आग, पानी व अन्य तरह से सुरक्षा देने के लिए भी यह योजना एक वरदान है।
- ऋण लेने वाले किसानों के अलावा अऋणी किसान अर्थात् जो किसान कर्ज नहीं लेते और जिसमें भू-धारक तथा बटाईदार भी शामिल हैं, सभी को ’प्रधानमंत्री फसल बीमा’ का लाभ दिया जा रहा है।
- रदेश में धान सिंचित, धान असिंचित, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, अरहर, मूंग, उड़द, उद्यानिकी फसलों जैसे केला, पपीता, अमरूद, टमाटर, भाटा, मिर्ची, अदरक, पत्तागोभी, फूलगोभी, प्याज आदि को भी बीमा के दायरे में लाया जा चुका है।
- विगत वर्ष खरीफ तथा रबी फसल को मिलाकर राज्य में 16 लाख से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिला, जिसके लिए कुल 340 करोड़ रूपये की राशि प्रीमियम के रूप में सरकार द्वारा दी गई, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार की 50-50 प्रतिशत की भागीदारी होती है।
- वर्ष 2015 के सूखे में किसानों को हुए नुकसान के एवज में 650 करोड़ रूपये के बीमा दावे का भुगतान प्रभावित किसानों को किया गया।
- इसलिए मैं किसान भाइयों से अपील करता हूं कि ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ में भागीदार बनिये और अपनी फसल की सुरक्षा कराइये।
पुरूष उद्घोषक
- डॉ. साहब, राज्य में किसानों की मदद के लिए अनेक संस्थाएं संचालित की जा रही हैं। हाल ही में आपने ‘किसान-मितान केन्द्र’ खोलने की घोषणा की है। इससे किसानों को क्या लाभ होगा?
मुख्यमंत्री जी
- हमने ऐसी अनेक संस्थाएं शुरू की हैं, जो किसानों की हर जरूरत में काम आएं और किसान किसी भी परिस्थिति में अपने आपको अकेला महसूस न करें, उसे भौतिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरीकों से यह लगे कि पूरी सरकार और व्यवस्था उनके साथ खड़ी है।
- इसलिए हमने एक कृषि विश्वविद्यालय होने के बावजूद, कामधेनु विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो पशुपालन में किसानों का मार्गदर्शन करें और उसके अनुरूप शिक्षा का प्रसार करे।
- अब राज्य में 2 विश्वविद्यालय, 31 कृषि महाविद्यालय, 20 कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित किए जा रहे हैं।
- राज्य में ’’कृषि प्रशिक्षण अकादमी’’ की स्थापना की गई है।
- 92 विकासखंडों में शहीद वीरनारायण सिंह बहुउद्देशीय कृषक सेवा केन्द्र और 360 कृषक सूचना केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
- किसानों को मिट्टी की जांच की सुविधा देने के लिए 26 स्थायी तथा 174 ’’मिनी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला’’ की स्थापना की गई है।
- ’स्वायल हेल्थ कार्ड वितरण’ का भी एक कीर्तिमान बनाया गया है। लक्ष्य से 112 प्रतिशत अधिक अर्थात 43 लाख 38 हजार कार्ड बांटे जा चुके हैं।
- उर्वरक/पौध संरक्षण/औषधि/बायोफर्टिलाइजर/जैविक खाद/कृषि यंत्र आदि के परीक्षण और गुण नियंत्रण से संबंधित प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
- बिलासपुर, जगदलपुर एवं अंबिकापुर में ’’नवीन बीज परीक्षण प्रयोगशाला’’ की स्थापना की गई है।
- प्रत्येक दो गांवों के बीच एक ‘किसान संगवारी’ नामांकित किया गया है। विकासखंड और जिलास्तर पर किसान संगवारियों के सम्मेलन आयोजित करने के निर्देश संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टरों को दिए गए हैं, ताकि हर स्तर पर अपने गांव-घर के निकट किसानों को तत्काल सही सलाह मिल सके।
- इसी कड़ी में हर जिला मुख्यालय में ‘किसान-मितान केन्द्र’ खोलने का निर्णय लिया गया है ताकि किसानों को एक छत के नीचे उनके लिए जरूरी सारी जानकारी मिल सके। सभी विभागों का मार्गदर्शन और सहयोग मिल सके।
- इस केन्द्र में राजस्व, कृषि, सहकारिता, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, जल संसाधन विभाग, सहकारी बैंक आदि अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। यहां दूरभाष की सुविधा भी दी जाएगी ताकि किसान भाई प्रत्यक्ष रूप से आकर चर्चा कर सकें और यदि वे स्वयं नहीं आ पा रहे हों तो फोन से बात करके समस्या का समाधान कर सकें।
- राष्ट्रीय स्तर पर ‘ई-नाम’ अर्थात ’’इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार’’ की व्यवस्था से छत्तीसगढ़ की 14 मंडियों को जोड़ दिया गया है। इससे हमारे गांव गांव में रहने वाले किसान भाइयों को देश की विभिन्न मंडियों में चल रहे, भाव का पता रहता हैं। इससे किसानों को अपनी फसल को सही दाम पर बेचने में मदद मिल रही है।
महिला उद्घोषक
- डॉ. साहब, एक जुलाई 2017 का दिन, भारत के आर्थिक इतिहास में एक नए अध्याय के रूप में दर्ज हुआ है। ’जी.एस.टी.’ की शुरूआत के साथ देश में अप्रत्यक्ष कर की जो नई प्रणाली का श्रीगणेश हुआ है, उसके सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ की क्या तैयारी है और आप इसे किस रूप में देखते हैं?
मुख्यमंत्री जी
- पहले दुकानदार को अलग-अलग तरह के काम-धंधे में 16 तरह के करों का भुगतान करना पड़ता था, जिसे हटाकर अब सिर्फ एक, जी.एस.टी. का भुगतान करना होगा, जिसके लिए ऑन लाइन व्यवस्था की जा रही है।
- व्यापारियों को अलग-अलग तरह के कर पटाने और उन सबका हिसाब-किताब रखने के लिए काफी समय देने के कारण, उन्हें बंधन महसूस होती थी, अब इससे राहत मिलेगी।
- इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नई कर प्रणाली को ’’आर्थिक आजादी’’ का नाम दिया है। उन्होंने ’जीएसटी’ को ‘गुड एण्ड सिम्पल टैक्स’ कहा है, जिसका मतलब होता है, ‘अच्छा और सरल कर’।
- इस तरह से आजादी के बाद लगातार देश में जो करांे का मकड़जाल बिछ गया था, उसे समाप्त कर दिया गया है।
- यह अर्थ-व्यवस्था को मजबूत बनाने का शंखनाद है। भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने का श्रीगणेश है।
- ’जीएसटी’ से व्यापारी-व्यवसाइयों को सुविधा होगी साथ ही आम जनता, विशेषकर गरीबों को भी बहुत लाभ होगा।
- कृषि और घरेलू उपयोग की ज्यादातर वस्तुओं को ’जीएसटी’ से मुक्त रखा गया है।
- आम जरूरतों के 80 प्रतिशत सामानों पर मात्र 5 से 18 प्रतिशत के बीच ’जीएसटी’ लगाया गया है। उच्च वर्ग के उपयोग की चीजों पर भी 28 प्रतिशत की दर से ’जीएसटी’ लगाया गया है, जिसकी संख्या भी कम है।
- छत्तीसगढ़ में तत्काल प्रभाव से हमने ’आरटीओ ’के 16 नाके समाप्त कर दिए हैं, जिससे ’जीएसटी’ की भावना के अनुरूप निर्बाध परिवहन हो सके। ऐसे अनेक लाभ भविष्य में देखने को मिलेंगे।
- इस तरह ’जीएसटी’ का हम स्वागत सबको मिलकर करना चाहिए।
- मैं विश्वास दिलाता हूं कि ’जीएसटी’ गांव, गरीब और किसान के हित में है।
पुरूष उद्घोषक
- श्रोताओं! आपकी प्रतिक्रियाएं हमें आपके पत्र, सोशल मीडिया- फेसबुक, ट्विटर के साथ SMS भी बड़ी संख्या में मिल रही हैं। इसके लिए आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद।
- आगे भी आप अपने मोबाइल के मेसेज बॉक्स में RKG के बाद स्पेस लेकर अपने विचार लिखकर 7668-500-500 नम्बर पर भेजते रहिए और संदेश के अंत में अपना नाम और पता लिखना ना भूलें।
मुख्यमंत्री जी
- मुझे खुशी है कि इस बार बहुत से पत्र और संदेश पौधारोपण को लेकर हैं। मोहन निषाद, विक्रम क्षत्रिय, राधेश्याम साहू आदि ने सलाह दिया है कि वृक्षारोपण की राशि का सदुपयोग होना चाहिए।
- डिसेन्ट देवांगन ने पीपल का पेड़ लगाने, आरती कांकरिया ने नीम का पेड़ लगाने, निर्मल अवस्थी ने औषधि पौधे लगाने का सुझाव दिया है।
- लक्ष्मी प्रधान, अरविंद कुमार सिंह, सोनू विश्वकर्मा, नरेश वर्मा, सतीश मिश्रा, माधुरी सिंह, बाबर शेख, विपिन सिंह चंदेल, सुधीर वैश्य आदि ने हरियर छत्तीसगढ़ की सराहना की है और इससे जुड़ने की अपील की है।
- कमलेश वानखड़े ने तो मुझे ‘पेड़ के जैसे उम्र मिलने की भी शुभकामनाएं’ दी है।
- आपके सुझाओं से मुझे प्रेरणा मिलती है। आप सभी को धन्यवाद।
- इस माह 6 जुलाई को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का जन्म दिवस मनाया गया। 19 जुलाई को डॉ. खूबचंद बघेल का तथा 23 जुलाई को अमर शहीद, चन्द्रशेखर आजाद का जन्म दिन है। मैं इन महान विभूतियों को नमन करता हूं, उनका व्यक्तित्व और उनका कृतित्व हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
महिला उद्घोषक
- और श्रोताओं, अब बारी है ‘क्विज’ की।
- चौदहवें ‘क्विज’ का प्रश्न था-
- पहला ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ कब मनाया गया ?
- जिसका सही जवाब है- (A) सन् 2015
- सबसे जल्दी जिन पांच श्रोताओं ने सही जवाब भेजे हैं, उनके नाम हैं-
1. श्री कुलेश्वर सिंह ठाकुर, भिलौनी, जिला बेमेतरा
2. श्री जीवन लाल रजक, लक्षणपुर, जिला बलौदाबजार
3. श्री सत्येन्द्र साहू, तेलीबांधा, रायपुर
4. श्री ऋषभ चौहान, दोन्दे खुर्द जिला रायपुर
5. श्री तेजेन्द्र कुमार साहू, रत्नाबांधा, धमतरी
पुरूष उद्घोषक
2. श्री जीवन लाल रजक, लक्षणपुर, जिला बलौदाबजार
3. श्री सत्येन्द्र साहू, तेलीबांधा, रायपुर
4. श्री ऋषभ चौहान, दोन्दे खुर्द जिला रायपुर
5. श्री तेजेन्द्र कुमार साहू, रत्नाबांधा, धमतरी
पुरूष उद्घोषक
- और श्रोताओं अब समय है पन्द्रहवें क्विज का, सवाल है-
- 14 अगस्त 2017 को डॉ. रमन सिंह जी, मुख्यमंत्री के रूप में कितने दिन पूरे कर रहे हैं-
- इसका सही जवाब (A) 4500 दिन
(B) 5000 दिन
- इनमें से कोई एक है।
- अपना जवाब देने के लिए, अपने मोबाइल के मैसेज बॉक्स में फ। लिखें और स्पेस देकर । या ठ जो भी आपको सही लगे, वह एक अक्षर लिखकर 7668-500-500 नम्बर पर भेज दें। साथ में अपना नाम और पता अवश्य लिखें।
- आप सब ‘रमन के गोठ’ सुनते रहिए और अपनी प्रतिक्रियाआंे से हमें अवगत कराते रहिए। इसी के साथ आज के अंक का हम यहीं समापन करते हैं। अगले अंक में 13 अगस्त को होगी आपसे फिर मुलाकात। तब-तक के लिए दीजिए हमें इजाजत। नमस्कार।
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