Saturday, 17 June 2017

राज्य की सभी ग्राम पंचायतों को बालमित्र पंचायत बनाने का लक्ष्य: श्रीमती रमशीला साहू

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के स्थापना दिवस पर कार्यशाला आयोजित
श्रीमती साहू ने आयोग के शिकायत मॉनिटरिंग साफ्टवेयर ’मेरी आवाज’ का किया शुभारंभ
देश की प्रथम बालमित्र जनपद पंचायत सहित
कई संस्थाओं और व्यक्तियों को दिया गया बाल गौरव सम्मान
  रायपुर, 17 जून 2017

 
 महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य की सभी 10 हजार 971 ग्राम पंचायतों को बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए ’बालमित्र’ पंचायत के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने हाल ही में राज्य के बिलासपुर जिले के अंतर्गत तखतपुर जनपद पंचायत देश की प्रथम बालमित्र जनपद पंचायत का दर्जा दिया है।
  
 श्रीमती साहू ने आज यहां न्यू सर्किट हाउस के सभाकक्ष में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के स्थापना दिवस पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में यह जानकारी दी। कार्यशाला का आयोजन ’सुरक्षित बचपन कार्यक्रम-बालमित्र पंचायत की अवधारणा ’ विषय पर किया गया।     श्रीमती रमशीला साहू ने कार्यशाला में ऑनलाईन शिकायत मॉनिटरिंग साफ्टवेयर ’मेरी आवाज’ का शुभारंभ किया। श्रीमती साहू ने बताया कि यह साफ्टवेयर यूनीसेफ की रिपोर्ट से तैयार किया गया है। बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का हनन होने पर इसके माध्यम से कोई भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। जानकारी डालने पर कोड व पासवर्ड मिलेगा, जिसके माध्यम से मॉनिटरिंग किया जा सकता है कि उसके शिकायत की स्थिति वर्तमान में कहां तक पहुंची है। यह राज्य के बच्चों के हित के लिए बहुत उपयोगी है। कार्यशाला में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं और बालमित्र दलों के सदस्यों को बाल गौरव सम्मान दिया गया। मुख्य अतिथि श्रीमती रमशीला साहू ने देश की प्रथम बालमित्र जनपद पंचायत घोषित तखतपुर को भी इस प्रतिष्ठित सम्मान से विभूषित किया। वहां की जनपद अध्यक्ष श्रीमती नूरिता कौशिक ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।
    कार्यक्रम की अध्यक्षता आयोग की तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती शताब्दी सुबोध पाण्डेय ने की। कार्यक्रम में आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. सिमी श्रीवास्तव, जनपद पंचायत तखतपुर की अध्यक्ष श्री नूरिता कौशिक, आयोग के सदस्यगण सर्वश्री रमेश राजपूत, परमानंद देशमुख, प्रदीप कौशिक, शरद श्रीवास्तव, श्रीमती उमा भारती सर्राफ, राज्य योजना आयोग के सदस्य श्री पी.सी. सोती, राज्य प्रमुख यूनिसेफ श्री प्रशांतदास भी उपस्थित थे। श्रीमती रमशीला साहू ने बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए उपस्थित सभी सदस्यों को श्रीमती साहू ने शपथ भी दिलायी।
        मुख्य अतिथि की आसंदी से कार्यशाला के शुभारंभ सत्र को सम्बोधित करते हुए श्रीमती रमशीला साहू ने कहा कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। बच्चों के प्रति कभी दुर्भावना नहीं रखनी चाहिए, किसी भी बच्चे को पराया नहीं समझना चाहिए। हमेशा उन्हें पढ़ाई, खेल और अन्य रचनात्मक कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चों में अच्छे संस्कारों का विकास हम सबका का उद्देश्य होना चाहिए, ताकि वे सशक्त नागरिक बनकर स्वस्थ एवं उत्कृष्ट राष्ट्र का निर्माण कर सकंे। श्रीमती साहू ने कार्यशाला में बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली से प्राप्त निर्देश व छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल पर बालमित्र पंचायत बनाने की प्रक्रिया बिलासपुर जिले के तखतपुर जनपद पंचायत से प्रारंभ की गई है। तखतपुर जनपद पंचायत की 117 ग्राम पंचायतों के 175 गांवों में ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समितियों का गठन हो चुका है। उन्होंने बताया कि उन 175 ग्रामों में बालमित्र गांव की परिकल्पना के 23 बिन्दुओं के पालन का संकल्प लिया गया है। ये 23 बिन्दु बच्चों के सर्वोत्तम हित के लिए है। जिसमें मुख्यतः ग्राम सभा में बाल अधिकार संरक्षण के एजेंडे को शामिल करना, बच्चों का पंजीयन, संस्थागत प्रसव, भ्रूण हत्या नहीं करना, बालिका भेदभाव नहीं करना, बाल विवाह नहीं करना, सम्पूर्ण टीकाकरण, आंगनबाड़ी केन्द्र एवं शाला में बच्चों का शत-प्रतिशत प्रवेश, स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, बालश्रम एवं बाल शिक्षावृत्ति न हो, बाल व्यापार एवं लैंगिक शोषण न हो, बच्चों में नशे की प्रवृत्ति न हो, दिव्यांग बच्चों हेतु आवश्यक व्यवस्था, बच्चों के खेलने एवं मनोरंजन आदि की व्यवस्था शामिल है। प्रदेश के सभी पंचायतों को बालमित्र पंचायत के रूप में विकसित करने का यह अनुकूल अवसर है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार व भारत सरकार पंचायत ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 5 जून 2017 को नई दिल्ली में बालमित्र पंचायत की अवधारणा के साथ सुरक्षित बचपन कार्यक्रम की लांचिग की गई है। प्रथम चरण में यह कार्यक्रम देश के 14 राज्यों में संचालित किया जाना है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य भी शामिल है।
        आयोजित कार्यशाला में राज्य के पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और सदस्य, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाएं एवं व्यक्ति, दिव्यांग बच्चों के लिए कार्यरत संस्थाओं के प्रतिनिधि, प्रत्येक जिले से पुलिस विभाग द्वारा बनाए गए जिला बाल मित्र दल व थाने स्तर पर गठित बालमित्र दल के सदस्यों व चाइल्ड राइट चैम्पियन को आमंत्रित किया गया था ।


क्रमांक-1189/कोसरिया

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