रायपुर, 27 जून 2017
कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को खरीफ फसलों की बोआई के पूर्व बीजों को उपचारित करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश भागों में मानसून की वर्षा शुरू हो चुकी है। किसानों को खरीफ फसलों की बोनी प्रारंभ कर देना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों ने आज यहां जारी अपने विशेष कृषि बुलेटिन में खरीफ फसलों की कतार बोनी को उत्पादन के मामले में फायदे मंद बताते हुए कतार बोनी के लिए सीड ड्रिल का उपयोग करने का सुझाव दिया है।
विशेष बुलेटिन में यह भी सलाह दी गई है कि धान का रोपा लगाने के लिए नर्सरी डालने का उपयुक्त समय है। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन है और जिन्होंने काफी पहले नर्सरी डाल ली है, उन्हें धान की रोपाई की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। सामान्य रोपाई के साथ-साथ मशीन से रोपाई करने के भी कई फायदे हैं। कतार बोनी धान में बोआई के तीन दिन के अंदर अंकुरण पूर्व निर्धारित मात्रा में निंदानाशक का छिड़काव करना चाहिए। गन्ने की फसल में आवश्यकता अनुसार ंिनंदाई, गुड़ाई और मिट्टी चढ़ाने का काम शुरू किया जा सकता है। खुर्रा बोनी के धान की उम्र 18-20 दिन हो जाने पर निंदा नियंत्रण के लिए निंदानाशक का छिड़काव लाभ दायक होता है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि किसानों की सुविधा की दृष्टि से कृषि विभाग द्वारा अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जाता है। इस संबंध में कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों-कर्मचारियों से सम्पर्क किया जा सकता है।
विशेष बुलेटिन में यह भी सलाह दी गई है कि धान का रोपा लगाने के लिए नर्सरी डालने का उपयुक्त समय है। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन है और जिन्होंने काफी पहले नर्सरी डाल ली है, उन्हें धान की रोपाई की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। सामान्य रोपाई के साथ-साथ मशीन से रोपाई करने के भी कई फायदे हैं। कतार बोनी धान में बोआई के तीन दिन के अंदर अंकुरण पूर्व निर्धारित मात्रा में निंदानाशक का छिड़काव करना चाहिए। गन्ने की फसल में आवश्यकता अनुसार ंिनंदाई, गुड़ाई और मिट्टी चढ़ाने का काम शुरू किया जा सकता है। खुर्रा बोनी के धान की उम्र 18-20 दिन हो जाने पर निंदा नियंत्रण के लिए निंदानाशक का छिड़काव लाभ दायक होता है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि किसानों की सुविधा की दृष्टि से कृषि विभाग द्वारा अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जाता है। इस संबंध में कृषि विभाग के मैदानी अधिकारियों-कर्मचारियों से सम्पर्क किया जा सकता है।
क्रमांक-1348/राजेश