रायपुर, 19 जून 2017
जांजगीर-चाम्पा
जिले के विकासखण्ड मालखरौदा के ग्राम चरौदा निवासी गरीब किसान खम्भहन डबरी
निर्माण से खुशहाल और आत्मर्भिर किसान बन गए है। खम्भहन की जुबानी यह
कहानी बताती है कि बरसात के दिनों को छोड़ दे तो यहाँ खेती के लिये पानी की
किल्लत बनी रहती थी। बरसात खत्म होते ही पानी की समस्या शुरु हो जाती थी।
दूर-दराज से खेतों तक पानी पहुँचाना मुश्किल था।
आर्थिक रुप से कमजोर किसानों के लिए ट्यूबवेल खुदवाने जैसे महंगे उपाय
करना भी कठिन था। गांव के किसान पानी की समस्या से परेशान होकर पलायन करने
मजबूर हो जाते थे। ऐसे में महात्मा गांधी नरेगा के तहत निजी डबरी के
निर्माण की योजना, खुशियों की रिमझिम बारिश सी करती हुई आई। इन्हीं
ग्रामीणों में से एक है खम्भहन लाल। खम्भहन लाल अपने खेतों में योजना के
तहत डबरी का निर्माण कराया। महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत बनी डबरी से
खेतों मंे सिंचाई की समस्या का समाधान हो गया। एकफसली खेती दुफसली में
तब्दील हो गई। खेत-बाड़ी से दोहरा फायदा होने से वे काफी खुश हैं। खम्भहन
लाल योजना के बारे में लोगों को बताते हुए फूले नहीं समाते हैं। उनसे
प्रेरित होकर गांव के दूसरे किसानों ने भी अपने खेतों में डबरी निर्माण
कार्य प्रारंभ कर दिया है। योजना का लाभ ग्राम चरौदा के लोगों ही नहीं
बल्कि आसपास के दूसरे गांवों के लोग भी प्रेरित हो रहे हैं।श्री खम्भहन लाल बताते हैं कि उनका घर खेत से ही लगा हुआ है। सो उन्हें डबरी निर्माण के दौरान आसानी हो गई। घर के सभी सदस्यों ने इसमें साथ दिया। डबरी निर्माण के दौरान काम करते हुए जहाँ उन्हें और उनके परिवार के वयस्क सदस्यों को मजदूरी प्राप्त हुई। वहीं परिसम्पत्ति के रुप में डबरी भी बन गई। वर्तमान में वे शाक-भाजी उगा रहे हैं। इसके लिये वे जब भी डबरी से सिंचाई करते हैं, तो बेहद प्रफुल्लित हो सरकार को धन्यवाद देते हुए कहते है कि डबरी निर्माण ने जैसे उनके जीवन में खुशियों की बारिश की है, वैसे ही अन्य किसानों के जीवन में भी खुशियों के बारिस से भर दे। जिससे लोग अपनी मिट्टी को छोड़कर कहीं और रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करने मजबूर न हो। श्री खम्भहन लाल ने बताया कि जब खेत में डबरी निर्माण की बात आई, तो अज्ञानतावश कुछ लोग कहने लगे थे कि डबरी बनाने से खेती-बाड़ी की जगह कम हो जाएगी। खम्हनलाल जैसे किसानों के इस भ्रम को दूर करने का जिम्मा उठाया, गांव के ग्राम रोजगार सहायक श्री शंकर रमन ने। उनकी समझाइश और विश्वास से समझ में आ गया कि यह तो आम के आम और गुठलियों के दाम वाली बात है। डबरियों से सिंचाई के लिए पानी मिलने के साथ-साथ मछलीपालन का जरिया भी बन सकती हैं। इसके अलावा दूरगामी परिणाम के रुप में जलस्तर में भी वृद्धि होती है। वर्तमान में खम्भन लाल दुर्गाताल मछुवारा समूह अड़भार से मछली बीज प्राप्त कर मछली पालन कर रहे हैं। इससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुए है साथ ही समाज में भी सम्मान मिल रहा है।
क्रमांक-1207/ओम