Saturday, 27 May 2017

नसबंदी चाहने वाले बैगा और अन्य संरक्षित जनजातियों के सदस्यों को करना होगा आवेदन : एसडीएम के प्रमाण पत्र के आधार पर हो सकेगी नसबंदी

राज्य सरकार द्वारा सभी कलेक्टरों को परिपत्र जारी 
      रायपुर, 27 मई 2017
राज्य सरकार ने कहा है कि बैगा एवं अन्य संरक्षित जनजातियों के सदस्य (पुरूष या महिला) अगर स्वेच्छा से नसबंदी करवाना चाहे, तो उन्हें इसके लिए अपने क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी (एस.डी.एम.) को आवेदन प्रस्तुत करना होगा। अनुभागीय दण्डाधिकारी द्वारा उनके आवेदन पर इस आशय का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, कि आवेदक ने नसबंदी कराने के लिए स्वेच्छा से आवेदन प्रस्तुत किया है और उन्हें ऑपरेशन के परिणामों की जानकारी दे दी गई है। अतः नसबंदी की जा सकती है। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अथवा सिविल सर्जन अथवा स्वास्थ्य विभाग के अन्य जानकारी अमले का सहयोग लिया जा सकता है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने कल यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से इस आशय का परिपत्र छत्तीसगढ़ के सभी जिला कलेक्टरों को जारी कर दिया गया। यह परिपत्र अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार के 13 दिसम्बर 1979 और छत्तीसगढ़ सरकार के एक अप्रैल 2015 के परिपत्रों में आंशिक संशोधन करते हुए जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि अनुविभागीय दण्डाधिकारी के प्रमाण-पत्र के आधार पर संबंधित व्यक्ति का ऑपरेशन पूर्ण सुविधा सम्पन्न शासकीय अस्पतालों में किया जा सकेगा। इस प्रमाण पत्र को संबंधित व्यक्ति के अभिलेख में सुरक्षित रखा जाएगा। किसी भी स्थिति में ये ऑपरेशन शिविरों में अथवा गैर सरकारी प्राईवेट अस्पतालों में नहीं किया जाएगा।
ताजा परिपत्र में कहा गया है - मध्यप्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 13 दिसम्बर 1979 को जारी परिपत्र के प्रथम पैराग्राफ की अंतिम पंक्तियों में स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए थे कि संरक्षित क्षेत्र की संरक्षित उपजातियों के सदस्यों की नसबंदी नहीं की जानी है। इनमें  (1) अंध, (2) बैगाचक्र के बैगा आदिवासी, (3) पाताल कोट के मारिया, (4) बियार (5) बिरहुल या बिरहर आदिम जाति समूह (6) रायगढ़ और सरगुजा जिले के पहाड़ी कोरवा (7) कीर आदिवासी समूह (8) मांझी आदिवासी समूह और (9) बस्तर के अबूझमाड़िया शामिल हैं। मध्यप्रदेश सरकार के इस परिपत्र के परिप्रेक्ष्य में मुख्य सचिव की ओर से एक अप्रैल 2015 को राज्य के समस्त कलेक्टरों को ये निर्देश दिए गए थे कि मध्यप्रदेश के 13 दिसम्बर 1979 के परिपत्र में दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा कल 26 मई को जारी नये परिपत्र में बताया गया है-उपरोक्त संरक्षित उपजाति परिवार के सदस्यों के द्वारा मांग की गई है कि उनके परिवार में अधिक संख्या मंे बच्चों का जन्म होने के कारण बच्चों की माताओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अतः इन परिवारों की महिलाओं के स्वास्थ्यगत कारणों से उनके द्वारा स्वेच्छा से नसबंदी कराये जाने की अनुमति प्रदान किए जाने का अनुरोध राज्य शासन से किया गया है। इस व्यावहारिक स्थिति को देखते हुए और समग्र रूप से विचार करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने ताजा दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीव्हीटीजी) के अलावा अन्य जनजातियों को नसबंदी सुविधा पूर्व प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार उपलब्ध कराई जाएगी।
परिपत्र में कहा गया है कि मध्यप्रदेश के 13 दिसम्बर 1979 के परिपत्र में सामान्य और आदिम जाति दोनों वर्गों के आदिवासी सदस्यों को नसबंदी सुविधाएं उपलब्ध कराने, नसबंदी के लिए प्रेरित करने और क्षतिपूर्ति राशि के हकदार होने का उल्लेख है। ये निर्देश यथावत लागू रहेंगे। परिपत्र की प्रतिलिपि सचिव आदिम जाति विकास विभाग, स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक, चिकित्सा शिक्षा के संचालक, आयुष संचालनालय के संचालक, प्रदेश के समस्त संभागीय कमिश्नरों, स्वास्थ्य सेवाओं के संभागीय संयुक्त संचालकों, मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों, समस्त सरकारी जिला अस्पतालों के सिविल सर्जन-सह अस्पताल अधीक्षकों और समस्त अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को भी भेजी गई है। 

क्रमांक-934/ओम

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