रायपुर. 31 मई 2017
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का कंडा गांव अब
रात को भी रोशन है। लोगों को अब शाम-रात में घर के काम अंधेरे में नहीं करने
पड़ते। व्यवसायी भी अपनी दुकानों को देर शाम तक खोल रहे हैं। पढ़ने-लिखने वाले बच्चों
और खाना बनाने वाली महिलाओं सहित सभी लोग बिजली की रोशनी में निर्विघ्न अपना काम
कर रहे हैं। राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) द्वारा कंडा में सौर ऊर्जा
के लिए सोलर पैनल लगाने के बाद गांववालों की जिंदगी में काफी बदलाव आ गया है। रात
में अंधेरे में डूबा रहने वाला गांव अब सौर ऊर्जा से रोशन हो गया है। सौर ऊर्जा से
वहां लोग टेलीविजन और पंखा भी चला रहे हैं।
हमर छत्तीसगढ़ योजना में अध्ययन भ्रमण पर
रायपुर आए बलरामपुर जिले के कंडा पंचायत के सरपंच श्री मधुवा राम बताते हैं कि पहले
शाम ढलते ही गांववालों की परेशानी बढ़ जाती थी। चिमनी और दीये के सहारे रात में काम
करने में महिलाओं को बहुत तकलीफ होती थी। स्कूल-कॉलेज जाने वालों के लिए रात में
पढ़ाई-लिखाई मुश्किल थी। सुदूर क्षेत्र होने की वजह से गांव तक विद्युत कनेक्शन
पहुंच नहीं पा रहा था। ऐसे में क्रेडा ने सोलर पैनल लगाकर अंधेरे से राहत दिलाई। वे
बताते हैं कि जब क्रेडा ने वर्ष 2014 में गांव के 312 घरों में सोलर पैनल लगाए तो
लोगों की खुशी देखते ही बनती थी।
लगभग डेढ़ हजार की आबादी वाले कंडा गांव के
सरपंच श्री मधुवा राम कहते हैं कि बिजली नहीं होने के कारण ग्रामीण अंधेरे में रात
गुजारने को मजबूर थे। इससे काम-काज पर खासा असर पड़ता था। दुकानदार भी देर शाम तक
दुकान नहीं खोल पाते थे। रात के अंधेरे में घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं
था। वन्य प्राणियों और जहरीले जंतुओं के हमले का डर बना रहता था। वे कहते हैं कि दिन
में सूर्य की रोशनी तो मिलती ही है, अब रात में भी सूर्य की ऊर्जा हमारे
लिए वरदान बन गई है। जिन दुर्गम इलाकों में बिजली नहीं पहुंचाई जा सकती वहां सौर
ऊर्जा के जरिए सरकार उजाला फैला रही है। बेहद मामूली खर्च पर बिजली मिलने से गांववालों
पर आर्थिक भार भी नहीं पड़ता।
क्रमांक-975/कमलेश