रायपुर, 8 मई 2017
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में महिला श्रमिकों को एक महीने के मातृत्व अवकाश भत्ते की सुविधा प्रदान कर, छत्तीसगढ़ देश में अपनी पहचान बना रही है। यह योजना गर्भवती महिला श्रमिकों की बेहतर स्वास्थ्य के लिए एक सराहनीय कदम है। प्रदेश सरकार यह सुविधा राज्य के बजट से प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में आठ मई 2013 में प्रारंभ यह योजना मातृ शक्ति के बेहतर स्वास्थ्य के लिए काम कर रही है। इस अभिनव पहल से अब तक 39 हजार 471 गर्भवती महिला श्रमिकों को 17 करोड़ 73 लाख रूपये मातृत्व अवकाश भत्ता प्रदान किया जा चुका है।
मातृत्व अवकाश भत्ता योजना का लाभ लेने के लिए जॉबकार्डधारी महिलाओं को पिछले 12 माह में कम से कम 50 दिवस का कार्य करना आवश्यक होता है। यह भत्ता दो किश्तों में प्रदान किया जाता है। प्रथम किश्त गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में 60 प्रतिशत और द्वितीय किश्त शेष 40 प्रतिशत तृतीय तिमाही, यथा संभव आठवें माह में दी जाती है। इस भत्ते के लिए जीवित शिशु का जन्म होना आवश्यक नहीं है। योजना का लाभ दो जीवित बच्चों तक ही दिया जाता है। योजना का लाभ लेने के लिये, आवेदिका को अपनी ग्राम पंचायत में मितानिन द्वारा जारी प्रमाण पत्र के साथ आवेदन जमा करना होता है। ग्राम पंचायत पांच दिनों के अंदर आवेदन पत्र पर स्वीकृति दे देती है। इस स्वीकृति के आधार पर जनपद पंचायत तीन दिनों के भीतर मातृत्व अवकाश भत्ते की राशि को आवेदिका के मनरेगा तहत खोले गये खाते में जमा करा देती है।
राज्य सरकार मनरेगा में कार्यरत महिला मेटों को भी मातृत्व अवकाश भत्ता देने का प्रावधान किया हैं। पंजीकृत महिला मेट को भी मातृत्व अवकाश भत्ते का भुगतान अकुशल श्रमिक के एक माह की मजदूरी के बराबर भत्ता दिए जाते है। दिसम्बर, 2017 तक 39 हज़ार चार सौ इकहत्तर महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हुई हैं। जिलेवार आंकड़ों पर गौर करें, तो जिला बस्तर में 488, कोंडागांव में 711, बिलासपुर में 2631, मुंगेली में 1444, दंतेवाड़ा में 360, सुकमा में 46, धमतरी में 2348, जशपुर में 1671, कांकेर 1252, कवर्धा में 3120, कोरिया में 861, रायगढ़ में 344, राजनांदगांव में 6695, सरगुजा में 839, बलरामपुर 615, सूरजपुर में 760, जांजगीर-चांपा में 1088, कोरबा में 934, महासमुंद में 821, दुर्ग में 1461, बालोद में 3462, बेमेतरा में 1331, रायपुर में 1957, बलौदाबाजार में 1590, गरियाबंद 2375, नारायणपुर 66 और बीजापुर में 201. गर्भवती महिलाओं को लाभांवित किया जा चुका है।
मातृत्व अवकाश भत्ता योजना का लाभ लेने के लिए जॉबकार्डधारी महिलाओं को पिछले 12 माह में कम से कम 50 दिवस का कार्य करना आवश्यक होता है। यह भत्ता दो किश्तों में प्रदान किया जाता है। प्रथम किश्त गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में 60 प्रतिशत और द्वितीय किश्त शेष 40 प्रतिशत तृतीय तिमाही, यथा संभव आठवें माह में दी जाती है। इस भत्ते के लिए जीवित शिशु का जन्म होना आवश्यक नहीं है। योजना का लाभ दो जीवित बच्चों तक ही दिया जाता है। योजना का लाभ लेने के लिये, आवेदिका को अपनी ग्राम पंचायत में मितानिन द्वारा जारी प्रमाण पत्र के साथ आवेदन जमा करना होता है। ग्राम पंचायत पांच दिनों के अंदर आवेदन पत्र पर स्वीकृति दे देती है। इस स्वीकृति के आधार पर जनपद पंचायत तीन दिनों के भीतर मातृत्व अवकाश भत्ते की राशि को आवेदिका के मनरेगा तहत खोले गये खाते में जमा करा देती है।
राज्य सरकार मनरेगा में कार्यरत महिला मेटों को भी मातृत्व अवकाश भत्ता देने का प्रावधान किया हैं। पंजीकृत महिला मेट को भी मातृत्व अवकाश भत्ते का भुगतान अकुशल श्रमिक के एक माह की मजदूरी के बराबर भत्ता दिए जाते है। दिसम्बर, 2017 तक 39 हज़ार चार सौ इकहत्तर महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हुई हैं। जिलेवार आंकड़ों पर गौर करें, तो जिला बस्तर में 488, कोंडागांव में 711, बिलासपुर में 2631, मुंगेली में 1444, दंतेवाड़ा में 360, सुकमा में 46, धमतरी में 2348, जशपुर में 1671, कांकेर 1252, कवर्धा में 3120, कोरिया में 861, रायगढ़ में 344, राजनांदगांव में 6695, सरगुजा में 839, बलरामपुर 615, सूरजपुर में 760, जांजगीर-चांपा में 1088, कोरबा में 934, महासमुंद में 821, दुर्ग में 1461, बालोद में 3462, बेमेतरा में 1331, रायपुर में 1957, बलौदाबाजार में 1590, गरियाबंद 2375, नारायणपुर 66 और बीजापुर में 201. गर्भवती महिलाओं को लाभांवित किया जा चुका है।
क्रमांक- 625/ओम